नई दिल्ली : भारत मत्स्य पालन सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रस्तावित समझौते पर सहमत होगा लेकिन इसके लिये जरूरी है सभी के लिये समानता के आधार पर वृद्धि सुनश्चित करे और सदस्य देशों के हितों को नुकसान न पहुंचे. सरकारी सूत्रों ने कहा कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश मछली पकड़ने की टिकाऊ व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये नुकसानदायक सब्सिडी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. भारत डब्ल्यूटीओ के 12-15 जून के बीच जेनेवा में 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में इन मुद्दों को उठाएगा. भारत इन देशों द्वारा अत्यधिक मछली पकड़ने की सब्सिडी निषेध से 25 साल की छूट भी चाहता है ताकि उनके पास अपने अविकसित जल मछली पकड़ने के क्षेत्र को विकसित करने का मौका मिल सके. साथ ही यह सुझाव दिया कि बड़े सब्सिडी देने वाले देश इन 25 वर्षों के भीतर अपने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (200 समुद्री मील) से बाहर के क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए अपने डोल-आउट को समाप्त कर दें. तभी विकासशील देशों के लिए पक्ष में मंच तैयार होगा.
भारत ने कहा है कि जो विकासशील देश सुदूर जल क्षेत्र में मछली पकड़ने में शामिल नहीं हैं, उन्हें कम से कम 25 साल के लिये सब्सिडी प्रतिबंधों से छूट दी जानी चाहिए. इसका कारण इन देशों में यह क्षेत्र अभी भी शुरुआती अवस्था में है. अधिकांश विकासशील देशों की प्रति व्यक्ति मत्स्य पालन सब्सिडी उन्नत मछली पकड़ने वाले देशों की तुलना में बहुत कम है. भारत जैसे देश जो अभी तक बड़ी मछली पकड़ने की क्षमता स्थापित नहीं कर पाए हैं. इसलिए इनसे अपने भविष्य के नीतिगत स्थान को त्यागने की उम्मीद नहीं की जा सकती है. क्योंकि कुछ सदस्यों ने मात्स्यिकी संसाधनों के अत्यधिक दोहन के लिए काफी सब्सिडी प्रदान की है. और वे निरंतर मछली पकड़ने में संलग्न रहने में सक्षम हैं.
सूत्रों के अनुसार भारत को गरीब मछुआरों की आजीविका की रक्षा करने और किसी राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए विशेष और विभेदक उपचार की आवश्यकता है. मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक नीतिगत स्थान है. और इसके तहत अधिक क्षमता और अधिक मछली पकड़ना, अवैध, गैर-सूचित अनियमित और अधिक मछली पकड़ना विषयों को लागू करने के लिए पर्याप्त समय है.
सूत्रों ने कहा कि मत्स्य पालन समझौते को मौजूदा अंतरराष्ट्रीय उपकरणों और समुद्र के कानूनों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. तटीय राज्यों के अपने समुद्री अधिकार क्षेत्र के भीतर जीवित संसाधनों का पता लगाने और उनका प्रबंधन करने के संप्रभु अधिकारों, जो अंतरराष्ट्रीय उपकरणों में निहित हैं, को संरक्षित किया जाना चाहिए. वार्ता को समाप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर यह ध्यान देने योग्य है कि पर्यावरण की सुरक्षा सदियों से भारतीय लोकाचार में निहित है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार इस पर जोर दिया गया है.