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Published : Apr 16, 2021, 9:53 PM IST

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अफगानिस्तान में राजनीतिक समाधान समावेशी होना चाहिए : भारत

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के दो दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा अफगानिस्तान को दोहरी शांति की जरूरत है. भारत ने कहा कि इस युद्धग्रस्त देश में कोई भी राजनीतिक समाधान समावेशी होना चाहिए तथा पिछले 19 वर्षों के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक लाभ को बनाए रखना चाहिए.

india afghan
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नई दिल्ली :विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने की घोषणा एक बड़ा कदम है जो इस युद्धग्रस्त देश को एक निश्चित दिशा में ले जायेगी और ऐसे में सभी पक्षकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि यह दिशा सही हो एवं इसका परिणाम अफगान लोगों के हित में हो.

विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात रायसीना डॉयलाग में ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ और अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहीब के साथ चर्चा के दौरान कही.

जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान को दोहरी शांति की जरूरत है और यह शांति देश के भीतर और उसके आसपास हो.

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हितों की सुरक्षा के लिए अपनी क्षमता के अनुरूप तथा अन्य पड़ोसी देशों के उसके संबंधों के माध्यम से, जो भी हो सकेगा, वह करेगा.

विदेश मंत्री ने कहा, हमारा हमेशा से मानना रहा है कि यह अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व और उसके द्वारा नियंत्रित प्रक्रिया होनी चाहिए.

वहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहीब ने कहा कि उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोवाल के साथ अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर चर्चा की है और अगले कुछ दिनों में एक दल बनाया जायेगा जो अमेरिका और नाटो के साथ परिवर्तन की योजना पर काम करेगा.

उन्होंने कहा कि बाइडेन की अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद जो बड़ी तस्वीर उभरी है, उसके बाद अब तालिबान के लिये अफगानिस्तान में हिंसा जारी रखने का कोई कारण नहीं बनता है.

अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि यह स्थिति अब नहीं रह गई है कि हिंसा जारी रखें, और मैं समझता हूं कि उनके (तालिबान) लिए अफगानिस्तान की सरकार के साथ वास्तव में शांति कायम करने और राजनीतिक समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनने का यही समय है.

दूसरी ओर, ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि अमेरिका का अंतत: अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा और प्रतिबद्धता सकारात्मक कदम है और इसे क्षेत्र की उस वास्तविकता के आलोक में देखा जाना चाहिए कि विदेशी बलों की उपस्थिति ने कभी भी शांति एवं स्थिरता में योगदान नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि तालिबान को अब अफगानिस्तान की सरकार, वहां के लोगों एवं देश के विभिन्न समूहों के साथ वार्ता शुरू कर देनी चाहिए. अब व्यापक संवाद होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि परिणाम का इंतजार करना शून्य पैदा कर देगा और तालिबान की इस शून्य को भरने की आकांक्षा एक मुसीबत साबित होगी.

जरीफ ने कहा कि यह अफगानिस्तान में नए युद्ध का आधार तैयार करेगी और इस क्षेत्र में हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते.

पढ़ें :-एस जयशंकर ने मालदीव के विदेश मंत्री से द्विपक्षीय सहयोग पर की चर्चा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, भारत आगामी कदमों को लेकर अफगानिस्तान के पक्षकारों तथा हमारे क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के सम्पर्क में है. उन्होंने कहा कि भारत, अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने और लक्षित हत्याओं को लेकर काफी चिंतित है और तत्काल एवं समग्र संघर्षविराम का आह्वान करता है.

उन्होंने कहा, हम अभी जारी अंतर अफगान शांति प्रक्रिया पर करीबी नजर रखे हुए हैं. अफगानिस्तान के लोगों ने चार दशकों से अधिक समय तक युद्ध और अशांति देखी है और वे टिकाऊ शांति एवं विकास के हकदार हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, भारत एकजुट, लोकतांत्रिक और सम्प्रभु अफगानिस्तान का समर्थन करता है. हम अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने और लक्षित हत्याओं को लेकर काफी चिंतित है. भारत तत्काल एवं समग्र संघर्षविराम का आह्वान करता है.

बागची ने कहा कि भारत ने दोहा सम्मेलन, जिनेवा सम्मेलन तथा हार्ट आफ एशिया सम्मेलन में अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में हिस्सा लिया. भारत अगले कदमों को लेकर अफगानिस्तान के पक्षकारों तथा हमारे क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के सम्पर्क में है.

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