दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

भारत की अग्नि-5 मिसाइल के टेस्ट से क्यों घबराया चीन, जानिए इसकी ताकत

अगर अग्नि-5 का आठवां परीक्षण सफल रहा तो भारतीय सेना को जल्द ही इंटर कॉन्टिनेंटल मिसाइल मिल जाएगी. इस मिसाइल की मारक क्षमता 5500 किलोमीटर से अधिक है, तो इससे चीन की टेंशन बढ़ना भी लाजिमी है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव 1172 का हवाला देकर अग्नि-5 के परीक्षण का विरोध कर रहा है. जानिए अग्नि-5 के बारे में, जिसने एशिया में हलचल मचा दी है.

Agni 5 intercontinental ballistic missile in odisha
Agni 5 intercontinental ballistic missile in odisha

By

Published : Sep 23, 2021, 4:18 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 7:19 PM IST

हैदराबाद : भारत अब दुनिया के उन एलीट देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास न्यूक्लियर हथियारों से लैस इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है. भारत अग्नि-5 मिसाइल का आठवीं बार परीक्षण करने वाला है. यह अग्नि -5 का पहला यूजर ट्रायल है. इससे पहले अग्नि 5 के सात परीक्षण सफल रहे हैं. इस परीक्षण के सफल होने के बाद भारतीय सेना इंटर कॉन्टिनेंटल एमआईआरवी ( MIRV) मिसाइल से लैस हो जाएगी. एमआईआरवी मिसाइल की खासियत यह है कि वह एक साथ कई ठिकानों पर हमला कर सकती है, जबकि सिंगल-वारहेड मिसाइलों को आम तौर पर एक टारगेट पर हमले के लिए लॉन्च किया जाता है.

अग्नि -5 के परीक्षण के कारण बालासोर में एयर एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है.

2008 से ही तैयार हो रही है अग्नि-5 :भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने 2008 में अग्नि-5 पर काम शुरू किया था.19 अप्रैल 2012 को उड़ीसा में इसका पहला टेस्ट रेल मोबाइल लॉन्चर से किया गया था, जो सफल रहा. जनवरी 2015 में मिसाइल का पहला कैनिस्टर टेस्ट किया गया था. तब मिसाइल को रोड मोबाइल लॉन्चर से छोड़ा गया. 10 दिसंबर 2018 को मिसाइल को इसे सातवीं बार टेस्ट किया गया. रक्षा मंत्रालय ने अग्नि-5 को 2020 में ही सेना में शामिल करने की तैयारी की थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण आखिरी टेस्ट नहीं हो सका था. 8वीं बार टेस्ट सफल होने के बाद इसे सेना में शामिल कर दिया जाएगा.

अग्नि के अबतक 5 मॉडिफाई वर्जन बनाए जा चुके है. भारत अब अग्नि 6 की तैयारी कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 8,000 – 10,000 किलोमीटर होगी.

टारगेट पर सटीक वार कर सकती है अग्नि-5 :अग्नि-5 रिंग-लेजर जायरोस्कोप आधारित नेविगेशन के कारण यह टारगेट पर सटीक वार करती है. यह मिसाइल डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है. इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी ध्वनि की स्पीड से 24 गुना ज्यादा. अग्नि-5 को कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. यह मिसाइल न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है और इसकी रेंज 5500 किमी है.

चीन और पाकिस्तान हैं अग्नि-5 की जद में :इसकी जद में अफ्रीका, यूरोप और एशिया के कुछ हिस्से आएंगे. जाहिर है इस मिसाइल की जद में चीन के कई बड़े शहर भी आ जाएंगे जबकि पूरा पाकिस्तान इसके दायरे में होगा. फिलहाल दुनिया के सात देशों के पास ही इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल हैं. इनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन, चीन और उत्तर कोरिया शामिल हैं. भारत इस क्लब में शामिल होने वाला आठवां देश होगा. भारत ने जून 2021 में अग्नि प्राइम का भी टेस्ट किया था. इसके अलावा अग्नि-6 के डिवेलपमेंट पर भी काम जारी है.

पाकिस्तान की शाहीन 3 और गौरी-2 की फाइल फोटो

पाकिस्तान की शाहीन से दोगुनी ताकत है अग्नि-5 की :पाकिस्तान के पास हत्फ सीरीज की नौ मिसाइलें हैं. हत्फ 4 या शाहीन की मारक क्षमता 750 किलोमीटर है. हत्फ 5 यानी गौरी 1500 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है. हत्फ 6 या शाहीन 2 मिसाइल की रेंज 2000 किलोमीटर है. पाकिस्तान के पास शाहीन-3 मिसाइल है. मध्यम दूरी तक मार करने वाली इस बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 2750 किलोमीटर है. ये मिसाइलें परमाणु और पारंपरिक हथियार अपने साथ ले जा सकती हैं.

चीन के पास है दुनिया को तबाह करने वाला डीएफ-41 :चीन के पास डीएफ सीरीज वाली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइलों का जखीरा है. अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल उसका डीएफ-41 मिसाइल 15 हजार किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. इससे वह 30 मिनट में ही अमेरिका पर एटमी हमला कर सकता है. सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मिसाइल डिफेंस प्रोजेक्ट के मुताबिक, डीएफ-41 ऐसी मिसाइल है, जिसके जरिए एक साथ 10 अलग-अलग टारगेट पर एक साथ निशाने साधे जा सकते हैं. इसके अलावा चीन की डीएफ-31 मिसाइल की रेंज 8000 किलोमीटर है.

चीन का डीएफ-41 मिसाइल रूस और अमेरिका से टक्कर के लिए बनाई गई है. मगर भारत चीन का प्रतिद्वंद्वी है, इसलिए भारत को भी इस क्षमता की मिसाइल बनाने का प्रयास कर रहा है.

हमले से पहले अंतरिक्ष में जाती है इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल :बैलिस्टिक मिसाइल का ट्रैवलिंग रूट अर्ध चंद्राकार या सब ऑर्बिटल होता है. इस मिसाइल को फर्स्ट फेज में गाइड किया जाता है, फिर यह आर्बिटल मेकैनिक्स एवं बैलिस्टिक्स के हिसाब से खुद काम करती है. यह लॉन्च होने के थर्ड फेज में टारगेट को भेद देती है. इस दौरान बैलेस्टिक मिसाइल दो बार एयर स्पेस और एक बार अंतरिक्ष में जाती है. अपने टारगेट को चुनने के लिए वह पृथ्वी के चारों ओर पर्याप्त दूरी तय करती है.

टेकऑफ के बाद रॉकेट मिसाइल को हवा में 2 से 3 मिनट तक हवा में ढकेलते हैं, जिससे वह अंतरिक्ष में पहुंच जाती है. तब पहला रॉकेट मिसाइल से अलग हो जाता है. फिर दूसरे रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में बैलिस्टिक मिसाइल अर्ध चंद्राकार या सब ऑर्बिटल रूट पर चलकर टारगेट के करीब जाता है. इस समय मिसाइल की स्पीड 24 हजार से 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है. लक्ष्य हासिल होते ही मिसाइल फिर अंतरिक्ष से निकलकर एयर स्पेस में आ जाती है और उसके कुछ मिनट के भीतर अपने सेट टारगेट पर हमला करती है.

Last Updated : Sep 23, 2021, 7:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details