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भारत 8वीं बार बना UNSC का अस्थाई सदस्य, आज से शुरू हुआ कायर्काल - भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरूमूर्ति

नववर्ष के अवसर पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूप में दो साल के कार्यकाल की शुरुआत की. भारत आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बना है.

यूएनएससी
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Published : Jan 1, 2021, 5:41 PM IST

Updated : Jan 1, 2021, 6:04 PM IST

वॉशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सालों से प्रयास कर रहे भारत का दो साल के लिए विश्व निकाय की इस प्रभावशाली संस्था के अस्थाई सदस्य के रूप में शुक्रवार को कार्यकाल प्रारंभ हो रहा है.

भारत 2021-21 के लिए अस्थायी सदस्य के रूप में इस 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में बैठेगा. वह आठवीं बार इस परिषद का अस्थायी सदस्य बना है.

भारत, नार्वे, केन्या, आयरलैंड, और मैक्सिको शुक्रवार को एस्टोनिया, नाईजर, सैंट विसेंट, ग्रेनाडाइन्स, ट्यूनीशिया और वियतनाम जैसे अस्थायी सदस्यों के साथ जुड़ रहे हैं, जबकि चीन,फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका उसके स्थाई सदस्य हैं.

भारत अगस्त, 2021 में परिषद की अध्यक्षता करेगा और 2022 में भी उसे एक महीने के लिए यह मौका मिलेगा. परिषद की अध्यक्षता अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के हिसाब से हर सदस्य के पास एक एक महीने के लिए रहती है.

टी एस तिरूमूर्ति का बयान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरूमूर्ति ने कहा कि सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते हम लोकतंत्र, मानवाधिकार एवं विकास जैसे सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देंगे.

उन्होंने कहा कि भारत का संदेश यह सुनिश्चित करना होगा कि कैसे हम संयुक्त ढांचे में विविधता को फलने-फूलने देते हैं, जो कि संयुक्त राष्ट्र कई मायनों में यही है. यह एक ऐसी चीज है जिसके पक्ष में भारत सदैव खड़ा है और उसे परिषद तक ले जाएगा.

उन्होंने कहा कि भारत निश्चित ही परिषद में सहयोग की वृहत आवश्यकत पर बल देगा जो निर्णय लेने में ढीले रवैये के चलते नहीं है, इस विषय पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.

सुरक्षा परिषद में सुधार पर देरी को लेकर भारतीय दूत ने इस दिशा में प्रगति नहीं होने की आलोचना की और कहा कि पिछले दशक में बमुश्किल ही कुछ हुआ. भारत एशिया प्रशांत देशों की ओर से उम्मीदवार था और उसे जून में सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के चुनाव में 192 में से 184 वोट मिले.

भारत कब-कब बना अस्थाई सदस्य
वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब भारत को यूएनएससी के अस्थायी सदस्य बना है. इससे पहले भी भारत सात बार सुरक्षा परिषद का आस्थाई सदस्य रह चुका है. आइए जानते हैं...

वर्ष कुल मत भारत को मिले वोट प्रतिशत तत्कालीन प्रधानमंत्री
1950-1951 58 56 96.5% जवाहर लाल नेहरू
1967-1968 119 82 68.9% इंदिरा गांधी
1972-1973 116 107 92.2% इंदिरा गांधी
1977-1978 138 132 95.6% मोरारजी देसाई
1984-1985 155 142 91.6% इंदिरा गांधी
1991-1992 154 141 91.5% पी वी नरसिम्हा राव
2011-2012 191 187 97.9% मनमोहन सिंह

2021-2022

01.01.2021

192 184 95.8% नरेंद्र मोदी

कैसे होता है अस्थाई सदस्य का चुनाव
चार्टर के अनुच्छेद 23 के, जिसे 31 दिसंबर 1963 को संशोधित (संकल्प 1991 ए (XVIII)) किया गया और 31 अगस्त 1965 को लागू किया गया, अनुसार महासभा ने गैर-स्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी.

सुरक्षा परिषद के कुल पांच स्थाई सदस्य हैं. इनमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फांस और रूस शामिल हैं. इसके अलावा 10 अस्थाई सदस्यों को दो वर्ष के अवधि के लिए चुना जाता है.

प्रक्रिया के नियम 142 के अनुसार, महासभा प्रत्येक वर्ष सुरक्षा परिषद के पांच गैर-स्थायी सदस्यों का चुनाव करती है. सभा ने 1963 में हुए अपने अठारहवें सत्र में फैसला किया कि परिषद के गैर-स्थायी सदस्यों को (संकल्प 1991 ए (XVIII)) के अनुसार चुना जाएगा. इनमें पांच सदस्य अफ्रीकी और एशिया, एक सदस्य पूर्वी यूरोप, दो लैटिन अमेरिका और दो सदस्य पश्चिमी यूरोप से चुने जाएंगे.

जीत के लिए दो तिहाई वोट की जरूरत
प्रक्रिया के नियमों की धारा 144 के अनुसार, एक सेवानिवृत्त सदस्य तत्काल पुन: चुनाव के लिए पात्र नहीं हो सकता, जबकि नियम 92 के अनुसार चुनाव सीक्रेट बैलेट द्वारा आयोजित किया जाता है और इसमें कोई नामांकन नहीं होता. प्रक्रिया के नियम 83 के तहत, सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य दो-तिहाई बहुमत से चुने जाते हैं.

Last Updated : Jan 1, 2021, 6:04 PM IST

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