हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है और यही कारण है कि दुनिया इसे मित्र कहती है. मोदी ने यहां से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कान्हा शांति वनम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अतीत में देश को गुलाम बनाने वालों ने भारत की मूल शक्ति--योग, ज्ञान और आयुर्वेद जैसी उसकी परंपराओं पर हमला किया, जिससे उसे भारी नुकसान सहना पड़ा. कान्हा शांति वनम का उद्घाटन 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि गुलामी जब भी और जहां भी आयी, उस समाज की मूल ताकत को निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा, 'भारत को गुलाम बनाने वालों ने योग और आयुर्वेद जैसी इसकी परंपराओं पर हमला किया. ऐसी कई महत्वपूर्ण परंपराएं थीं और उन पर हमला किया गया और इससे देश को भारी नुकसान हुआ.' उन्होंने कहा, 'हालांकि समय बदलता है, भारत भी बदल रहा है. यह आजादी का अमृत काल (75वां वर्ष) है. भारतीय जो भी निर्णय लेंगे, हम जो काम करेंगे, वे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य निर्धारित करेंगे.'
उन्होंने इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से की गई अपनी पंच प्रण घोषणा को याद किया, जिनमें एक विकसित भारत के लिए संकल्प लेना, औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाना, हमारी विरासत और एकता पर गर्व करना तथा नागरिकों के कर्तव्य शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को हर तरह से सशक्त करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि आज भारत की चर्चा ज्ञान के केंद्र के रूप में की जा रही है. उन्होंने उल्लेख किया कि देश के प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया.