नई दिल्ली :अमेरिकी सैनिकों की 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी की संभावनाओं के बीच भारत के तालिबान से संपर्क साधने की खबर आई थी. अमेरिकी सैनिक लगभग दो दशकों से वहां जमे हुए थे और अब वे वहां से वापसी कर रहे हैं.
अफगान शांति प्रक्रिया में तेजी से हो रही प्रगति के साथ ही कतर के एक वरिष्ठ राजनयिक ने वॉशिंगटन डीसी में सोमवार को अरब सेंटर में आयोजित एक वेबिनार में कहा कि भारतीय पक्ष तालिबान के साथ वार्ता कर रहा है क्योंकि यह समूह अफगानिस्तान के लिए भविष्य में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
कतर की राजधानी दोहा में तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच सीधी वार्ता चल रही है ताकि 19 वर्षों से चल रहे युद्ध को समाप्त किया जा सके. इस युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं और देश के विभिन्न हिस्से तबाह हो चुके हैं.
अफगान शांति वार्ता में कतर भूमिका निभा रहा है. आतंकवाद निरोधक और संघर्ष समाधान के लिए कतर के राजदूत मुतलक बिन माजेद-अल-काहतानी ने कहा कि मेरा मानना है कि भारतीय अधिकारियों का गोपनीय दौरा हुआ है. तालिबान से वार्ता के लिए. क्यों? क्योंकि ऐसा नहीं है कि हर कोई समझ रहा है कि तालिबान का प्रभुत्व होगा और वह कब्जा कर लेगा बल्कि इसलिए कि तालिबान महत्वपूर्ण कारक है या अफगानिस्तान के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कारक होने जा रहा है.
वह अमेरिका-नाटो की वापसी के बाद अफगानिस्तान में शांति विषय पर आयोजित सत्र में एक सवाल का जवाब दे रहे थे. अल-काहतानी ने कहा कि अफगानिस्तान में हर पक्ष के साथ वार्ता या संपर्क के पीछे कुछ कारण हैं लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इस समय महत्वपूर्ण चरण है और मेरा मानना है कि अगर कोई बैठक होती है तो यह बड़े कारण से होनी चाहिए ताकि सभी पक्षों को शांतिपूर्ण तरीके से अपने मतभेद सुलझाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. कतर के वरिष्ठ राजनयिक की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.