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Covid19 vaccination : 'भारत ने राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर 34 लाख से अधिक लोगों की बचाई जान'

भारत ने कोविड 19 के दौरान जो कदम उठाए उनसे करीब 34 लाख लोगों की जिंदगी बचाने में मदद मिली. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पिटिटिवनेस के प्रकाशित पेपर में इसका जिक्र किया गया है. पढ़ें पूरी खबर.

Covid19 vaccination
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Published : Feb 24, 2023, 3:07 PM IST

नई दिल्ली: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पिटिटिवनेस के शुक्रवार को संयुक्त रूप से प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में कहा गया है कि अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी कोविड19 टीकाकरण अभियान चलाकर भारत 34 लाख से अधिक लोगों की जान बचाने में सक्षम रहा है (Covid19 vaccination).

'हीलिंग द इकोनॉमी: एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इम्पैक्ट ऑन इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड इश्यूज' शीर्षक वाले पेपर में वायरस के प्रसार को रोकने के उपाय के रूप में रोकथाम की भूमिका पर भी चर्चा की गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीनी स्तर पर मजबूत उपाय, जैसे कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग, मास टेस्टिंग, होम क्वारंटाइन, आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का वितरण, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में सुधार और केंद्र-राज्य और जिला स्तर पर हितधारकों के बीच निरंतर समन्वय ने न केवल वायरस के प्रसार को रोकने में मदद की बल्कि स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में भी मदद की.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया द्वारा जारी वर्किंग पेपर में जिक्र किया गया है कि 'भारत अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर 3.4 मिलियन (34 लाख) से अधिक लोगों की जान बचाने में सक्षम रहा. इसने 18.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नुकसान को रोककर एक सकारात्मक आर्थिक प्रभाव भी डाला. टीकाकरण अभियान की लागत को ध्यान में रखते हुए देश को 15.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का शुद्ध लाभ हुआ.'

टीकाकरण के माध्यम से बचाए गए जीवन की संचयी जीवन भर की कमाई 21.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई. पेपर के मुताबिक सभी टीकों (कोवैक्सीन और कोविशील्ड) ने देश को वायरस के घातक हमले से लड़ने में मदद की और न केवल बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाया गया बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ को भी कम किया.

स्टैंडफोर्ड पेपर में महामारी के दौरान सरकार द्वारा घोषित योजनाओं और वित्तीय पैकेजों पर भी प्रकाश डाला गया है. वर्किंग पेपर में कहा गया है कि ' MSME क्षेत्र को समर्थन देने की योजनाओं के साथ, 10.28 मिलियन MSME को US$100.26 बिलियन (4.90 प्रतिशत GDP) के आर्थिक प्रभाव में परीक्षण सहायता प्रदान की गई.

इसी तरह, पीएमजीकेएवाई के तहत 800 मिलियन लोगों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 26.24 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक प्रभाव पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 4 मिलियन लाभार्थियों को रोजगार प्रदान किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कुल मिलाकर 4.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक प्रभाव पड़ा.

इस बात पर जोर देते हुए कि वर्किंग पेपर कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की स्वीकृति है, स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर हितधारकों के बीच एक निरंतर समन्वय देखा गया, जिसने न केवल कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद की, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी गति प्रदान की.

मंडाविया ने कहा कि सरकार द्वारा राहत पैकेजों ने कमजोर समूहों, वृद्ध आबादी, किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), महिला उद्यमियों सहित अन्य को उनकी आजीविका के लिए समर्थन सुनिश्चित किया.

रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए, मंडाविया ने कहा कि प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान और स्टैंडफोर्ड द्वारा किए गए इस अध्ययन से महामारी का मुकाबला करने में सरकार द्वारा लागू की गई रणनीतियों की अधिक व्यापक समझ प्राप्त करने में मदद मिली है.

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