नई दिल्ली: देश आज गलवान घाटी में जान गंवाने वाले अमर शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. फायर एंड फ्यूरी कोर ने गलवान घाटी में जान गंवाने वाले 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी. पिछले साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी.
पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के एक साल बाद दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाल नहीं होने के बावजूद भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है. रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों ने इस बारे में जानकारी दी.
बता दें कि, चीन की विस्तारवादी नीति किसी से छिपी नहीं है. चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के हिस्सों पर अपना हक जताता रहा है. ज़मीन से लेकर समुद्र तक चीन की घुसपैठ पूरी दुनिया देख चुकी है. चीन की इसी लालच का नतीजा था गलवान में भारत और चीनी सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष.
दरअसल दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रही बातचीत के बीच चीन की तरफ से एलएसी पर तनाव बढ़ाने की कोशिस की गई. ये वो वक्त था जब भारत कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था. एलएसी के पास निर्माण और जमीन कब्जाने की कोशिश चीनी सेना की तरफ से की गई. 15-16 जून को भारत और चीनी सैनिक आमने-सामने आ गए. दोनों सेनाओं के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए.