नई दिल्ली:भारत ने मंगलवार को अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डॉ. फर्नांड डी वारेन्स (Dr Fernand de Varennes) की आलोचना करते हुए जम्मू-कश्मीर पर उनके बयान को निराधार और अनुचित आरोप बताया (India rejects UN special rapporteur’s remarks). सरकार ने कहा, 'जी20 अध्यक्ष के रूप में, देश के किसी भी हिस्से में अपनी बैठकों की मेजबानी करना भारत का विशेषाधिकार है.'
यह प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत द्वारा एक बयान जिसमें कहा गया है कि 'जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के दौरान जी20 बैठक आयोजित करना भारत द्वारा कश्मीरी मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के लोकतांत्रिक और अन्य अधिकारों के क्रूर और दमनकारी इनकार को सामान्य करने का एक प्रयास है.' उनका यह बयान श्रीनगर में जी20 की बैठक से एक सप्ताह पहले आया है.
जिनेवा में भारतीय मिशन ने मंगलवार को ट्वीट किया, ' हम @IndiaUNGeneva अल्पसंख्यक मुद्दों पर SR द्वारा जारी किए गए बयान @fernanddev और इसमें निराधार और अनुचित आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हैं. G20 अध्यक्ष के रूप में, देश के किसी भी हिस्से में अपनी बैठकों की मेजबानी करना भारत का विशेषाधिकार है.'
दूतावास ने ट्वीट किया, 'हम इस बात से सहमत हैं कि @fernanddev ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए गैर-जिम्मेदाराना तरीके से काम किया है और SR के लिए आचार संहिता के घोर उल्लंघन में अपने अनुमानित और पूर्वाग्रही निष्कर्षों को सोशल मीडिया पर प्रचारित करने के लिए SR के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया है.'
अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ ने बयान में आगे कहा कि '2019 के बाद से भारतीय प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, जब भारत सरकार ने इस क्षेत्र की विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था.'
फर्नांड डी वारेन्स ने कहा कि 'भारत सरकार 22-24 मई को टूरिज्म पर वर्किंग ग्रुप की G20 मीटिंग को साधन बनाकर और अनुमोदन की एक अंतरराष्ट्रीय मुहर को चित्रित करके सैन्य कब्जे के रूप में वर्णित कुछ लोगों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रही है.'