नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union environment ministry) ने बुधवार को पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक- 2022 को खारिज किया जिसमें भारत को 180 देशों की सूची में सबसे निचले स्थान पर रखा गया है. मंत्रालय ने कहा कि सूचकांक में उपयोग किए गए सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं. हाल में येल पर्यावरण कानून व नीति केंद्र और अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान सूचना नेटवर्क केंद्र, कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित सूचकांक में जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिकी के महत्व के मामले में देशों की परख के लिए 11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन सूचकों का इस्तेमाल किया गया.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हाल ही में जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) 2022 में कई सूचक निराधार मान्यताओं पर आधारित हैं. प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए कुछ सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.' मंत्रालय ने कहा है कि जलवायु नीति के उद्देश्य में एक नया संकेतक '2050 में अनुमानित जीएचजी उत्सर्जन स्तर' है. इसकी गणना मॉडलिंग के बजाय पिछले 10 वर्षों के उत्सर्जन में परिवर्तन की औसत दर के आधार पर की जाती है, जिसमें संबंधित देशों की लंबी अवधि, अक्षय ऊर्जा क्षमता और उपयोग, अतिरिक्त कार्बन सिंक, ऊर्जा दक्षता आदि को ध्यान में रखा जाता है.