नई दिल्ली/कोलंबो : श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने उन खबरों का फिर से खंडन किया है, जिनमें कहा गया है कि नई दिल्ली द्वारा कोलंबो में भारतीय सैनिक भेजे जाएंगे. इससे पहले, मई में भी भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) ने मीडिया के एक वर्ग में आई ऐसी ही खबरों को खारिज किया था. गौरतलब है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच हजारों गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को आग लगा दी.
राष्ट्रपति राजपक्षे ने शनिवार को घोषणा की कि वह इस्तीफा देंगे. प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने भी कहा कि नई सरकार बनने के बाद वह पद छोड़ देंगे. भारतीय उच्चायोग ने देर रात एक ट्वीट में कहा, 'उच्चायोग मीडिया और सोशल मीडिया के एक वर्ग में, भारत द्वारा अपनी सेना श्रीलंका भेजे जाने को लेकर आ रहीं खबरों का स्पष्ट रूप से खंडन करना चाहता है. ये खबरें और इस तरह के विचार भारत सरकार के रुख के अनुरूप नहीं हैं.'
उच्चायोग ने कहा, 'भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है, क्योंकि वह लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं.'
कोलंबो में बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में, भारत ने रविवार को कहा कि वह लोकतांत्रिक साधनों, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के आकांक्षी श्रीलंका वासियों के साथ खड़ा है. विदेश मंत्रालय (एमईए) की यह टिप्पणी हज़ारों प्रदर्शनकारियों द्वारा राष्ट्रपति राजपक्षे और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के घर पर धावा बोलने के एक दिन बाद आई है.