नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन युद्ध का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है. ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच की यूनिट इंडिया रेटिंग ने भारत की रेटिंग में बदलाव करते हुए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में कमी की है. रेटिंग एजेंसी ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 7.6 प्रतिशत से कम कर दिया है. उसका अनुमान है कि दुनिया भर में मची हलचल और बुधवार को 40 से 60 आधार अंकों की गिरावट के कारण भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 7 से 7.2 के बीच रहेगा.
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि बदली हुई भू-राजनीतिक स्थिति के कारण वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च 2023 की अवधि) के लिए दो स्थितियां बन रही हैं. यदि कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर रहती है तो वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वद्धि 7.2 फीसदी रह सकती है और यदि कीमतें इस अवधि के बाद भी ऊंचे स्तर पर रहती हैं तो जीडीपी वृद्धि और भी कम सात प्रतिशत रहेगी. दोनों ही आंकड़े जीडीपी वृद्धि के पहले के 7.6 फीसदी के अनुमान से कम हैं.
इस साल जनवरी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से किए गए कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में सामने आया कि सामान्य आर्थिक स्थिति के संबंध में बेहतर सेंटिमेंट के कारण करेंट सिचुएशन इनडेक्स में मामूली वृद्धि हुई है लेकिन बाजार में निराशा का माहौल बना है. रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2023 में प्राइवेट कंजम्प्शन के घटकर 8 से 8.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. इंडिया रेटिंग ने अपने बयान में कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण उपभोक्ता के सेंटिमेंट में और गिरावट आने की संभावना है, जिससे कमोडिटी की कीमतें और महंगाई बढ़ रही है. रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि फाइनेंशियल ईयर-2022-23 में प्राइवेट फाइनल कंज्पशन एक्सपेंडिचर (PFCE) सेनेरियो एक और दो में क्रमशः 8.1% और 8.0% बढ़ेगा. बता दें कि रेटिंग एजेंसी ने पहले के 9.4% ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था.