नई दिल्ली: एशियाई राष्ट्र सीरिया में लगभग दो साल से राजदूत का पद खाली पड़ा था. नए राजदूत की नियुक्ति की घोषणा करके भारत ने संकेत दिया है कि वह युद्ध से तबाह पश्चिम के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है (new envoy in Syria).
विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि वर्तमान में ओमान में भारतीय दूतावास में काउंसलर के रूप में कार्यरत इरशाद अहमद को सीरिया में नया भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया है. उनकी नियुक्ति हिफज़ुर रहमान द्वारा मार्च 2019 से सितंबर 2021 तक उस पद पर कार्य करने के बाद हुई है. तब से यह पद खाली पड़ा हुआ था.
अहमद की नियुक्ति इस महीने की शुरुआत में विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन की सीरिया यात्रा के ठीक बाद हुई है. इस यात्रा को अरब स्प्रिंग विद्रोह के बाद भारत-सीरिया संबंधों की एक नई शुरुआत के रूप में देखा गया था. उस यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने विकासात्मक साझेदारी सहायता, शिक्षा और क्षमता निर्माण सहित द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.
इराक और जॉर्डन में पूर्व भारतीय राजदूत आर. दयाकर ने इस संबंध में ईटीवी भारत से बात की. आर. दयाकर ने विदेश मंत्रालय के पश्चिम एशिया डेस्क में भी कार्य किया है. आर. दयाकर ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब के बीच मेलजोल एक और संकेत है. उन्होंने कहा कि 'अफगानिस्तान और इराक से अमेरिका जैसी बाहरी ताकतों की वापसी के बाद पश्चिम एशिया में एक नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था उभर रही है. एक बहुध्रुवीय विश्व पारंपरिक वर्चस्ववादी शक्तियों का स्थान ले रहा है.'
दयाकर ने कहा कि भारत सीरिया को हाल के वर्षों में मिले घावों पर मरहम लगा सकता है. उन्होंने कहा कि 'सीरिया एक बहुजातीय धर्मनिरपेक्ष देश है. उनका रुझान धर्मनिरपेक्ष है. भारत उस देश के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.'
इस साल मई में सीरिया को अरब लीग में दोबारा शामिल किए जाने के बाद नई दिल्ली का दमिश्क के साथ नए सिरे से जुड़ाव हुआ है. नवंबर 2011 में अरब स्प्रिंग विद्रोह के बाद सीरिया को अरब लीग से निलंबित कर दिया गया था. हालांकि, भारत ने सीरिया के साथ हमेशा सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा.