नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने को लेकर विशेष समझौता हो सकता है. दोनों देश इस पर अमल के लिए तैयार हो गए हैं. भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई है. बॉर्डर पर शांति बनाए रखने को लेकर इस बातचीत का काफी महत्व है.
युद्धविराम के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच नए सिरे से समझौता हुआ. दोनों देशों के डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह संघा और मेजर जनरल नौमान जकारिया के बीच बात हुई, जिसमें युद्धविराम पर नए सिरे से सहमति बनी है.
गुरुवार को जारी किए गए एक आधिकारिक बयान में बताया गया है, कि सीमाओं पर पारस्परिक रूप से शांति कायम रखने, दोनों देशों के डीजीएमओ के मुख्य मुद्दों और चिंताओं, जो शांति भंग कर सकते हैं और हिंसा को बढ़ा सकते हैं, पर ध्यान देने के लिए सहमत हुए. दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा के साथ सभी समझौतों और संघर्ष विराम की कड़ाई से पालन के लिए सहमति व्यक्त की.
यह समझौता अपेक्षित था, क्योंकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में शांति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. इसके बावजूद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान गोलीबारी करता रहता है.
भारत-चीन सैन्य समझौता इसलिए हुआ, क्योंकि चुशुल-मोल्दो में दस दौर की वार्ताएं हुई.
ईटीवी भारत से बात करते हुए कई शीर्ष सैन्य स्रोतों ने संकेत दिया कि भारत-चीन सैन्य समझौते में कई बिंदु हो सकते हैं, जो संभवत: वर्गीकृत रहें. इसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित कुछ समझौते शामिल हो सकते हैं.
सामरिक दृष्टिकोण से, यह इस बात से अधिक हैरान करने वाला था कि क्योंकि भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट की ऊंचाइयों को खाली करना चुना, जिस पर सैनिकों ने 29-30 अगस्त, 2020 को कब्जा कर लिया था.
पाकिस्तान के लिए यह क्यों मायने रखता है