गांधीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को कहा कि भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में नए रुझानों को आकार देते हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत ने आत्मविश्वास की कमी के चलते खुद को अपनी सीमाओं के भीतर सीमित कर लिया, लेकिन अब चीजें बदल रही हैं और देश तेजी से वैश्विक बाजारों के साथ खुद को एकीकृत कर रहा है.
उन्होंने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक (गिफ्टी) सिटी में एक समारोह में यह भी कहा कि भारत दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और उसे ऐसे संस्थानों का निर्माण करना चाहिए, जो इसकी वर्तमान और भविष्य की भूमिकाओं को निभा सकें. मोदी ने इससे पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) की आधारशिला रखी और इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीसी) का उद्घाटन किया.
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने एनएससी (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) आईएफएससी (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) और एसजीएक्स (सिंगापुर एक्सचेंज लिमिटेड) 'कनेक्ट मंच' का भी उद्घाटन किया. मोदी ने कहा, 'भारत आज अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों के साथ खड़ा है, जो वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में नए रुझानों को आकार देते हैं. मैं इस उपलब्धि के लिए देश के लोगों को बधाई देता हूं.' उन्होंने कहा, 'भारत दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आगे चलकर ये और भी बड़ा होगा. हमें ऐसे संस्थानों का निर्माण करना चाहिए, जो हमारी वर्तमान और भविष्य की भूमिकाओं को पूरा कर सकें.'
'डिजिटल भुगतान में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी' :मोदी ने कहा कि दुनिया में डिजिटल भुगतान में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है और इस मामले में देश अगुआ है. उन्होंने कहा कि गिफ्ट सिटी के जरिए भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा क्षेत्र में अपनी जगह मजबूत कर रहा है. प्रधानमंत्री ने आईएफएससीए के मुख्यालय भवन का शिलान्यास करने के बाद कहा, 'मुझे विश्वास है कि ये भवन अपने जितना भव्य होगा, उतना ही भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के असीमित अवसर भी तैयार करेगा. आईएफएससीए नवाचार का समर्थन करेगा और वृद्धि अवसरों को शक्ति प्रदान करेगा.'
उन्होंने कहा कि गिफ्ट सिटी केवल व्यापार-कारोबार या आर्थिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे भारत के भविष्य का दृष्टिकोण और स्वर्णिम अतीत के सपने भी जुड़े हैं. उन्होंने अपने गृह नगर का उदाहरण देते हुए कहा, 'मेरे जन्म स्थान वडनगर में खुदाई चल रही है और वहां प्राचीन काल के सिक्के मिल रहे हैं. ये इस बात का सबूत है कि हमारी व्यापारिक व्यवस्था और संबंध कितने व्यापक थे. लेकिन, आजादी के बाद हम खुद ही अपनी विरासत को, अपनी इस ताकत को पहचानने से कतराने लगे. शायद ये गुलामी और कमजोर आत्मविश्वास का असर था कि हमने अपने व्यावसायिक, सांस्कृतिक और दूसरे सम्बन्धों को जितना हो सका सीमित कर दिया.'