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भारत को स्वदेशी हथियारों से भविष्य की जंग लड़ने के लिए तैयार रहने की जरूरत: सेना प्रमुख

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 14वें दिन में प्रवेश (Russia and Ukraine War in 14th day) कर गया है. मंगलवार को, संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने संघर्ष को समाप्त करने के लिए निर्णायक कार्रवाई का आह्वान (UNSC calls for decisive action) किया. सुरक्षा परिषद ने दो सप्ताह में अपनी सातवीं बैठक (Security Council seventh meeting in two weeks) की, जो सामने आई स्थिति से संबंधित है. मानवीय मामलों के अवर महासचिव और आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो लाखों जिंदगियां तबाह हो गई हैं.

सेना प्रमुख
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Published : Mar 9, 2022, 8:16 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Indian Army Chief General Manoj Mukund Naravane) ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine war) से पता चलता है कि एक पारंपरिक युद्ध हो सकता है. देश को स्वदेशी हथियारों से भविष्य के युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहने की जरूरत है. उन्होंने सवाल पूछा कि युद्ध साइबर स्पेस में लड़ा जा रहा है या वातानुकूलित कक्षों के माध्यम से? इसके बाद जनरल नरवणे ने उत्तर दिया कि यह युद्ध दिखाता है कि एक पारंपरिक युद्ध हो सकता है.

सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक समारोह में मीडियाकर्मियों से कहा, 'हम जो युद्ध देख रहे हैं, वह जमीन पर ही लड़ा जा रहा है.' उन्होंने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से हम जो सबसे बड़ा सबक सीख सकते हैं, वह यह है कि भारत को स्वदेशी हथियारों के साथ भविष्य के युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 14वें दिन में प्रवेश (Russia and Ukraine War in 14th day) कर गया है. मंगलवार को, संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने संघर्ष को समाप्त करने के लिए निर्णायक कार्रवाई का आह्वान (UNSC calls for decisive action) किया. सुरक्षा परिषद ने दो सप्ताह में अपनी सातवीं बैठक (Security Council seventh meeting in two weeks) की, जो सामने आई स्थिति से संबंधित है. मानवीय मामलों के अवर महासचिव और आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो लाखों जिंदगियां तबाह हो गई हैं.

वास्तव में, मानवीय प्रयासों की पहुंच केवल यूक्रेन और रूस के सहयोग के बिना नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल है. साथ ही हिंसा से बचने के इच्छुक लोगों और महत्वपूर्ण सहायता देने वालों के लिए सुरक्षित गलियारे भी बनाना संभव नहीं है. कुछ नागरिक ऐसे समय में भागने में असमर्थ हैं और 24 फरवरी को संघर्ष शुरू होने के बाद से 17 लाख पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं, जबकि जो बचे हैं उन्हें आवश्यक सेवाओं में कटौती का सामना करना पड़ रहा है. व्यापक दुनिया पर संघर्ष के प्रभाव के बारे में भय की एक अतिरिक्त भावना व्यक्त करते हुए, ग्रिफिथ्स ने कमजोर लोगों पर पड़ने वाले परिणामों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की, जिसमें खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी और अनिश्चित आपूर्ति शामिल हैं.

(आईएएनएस)

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