नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने हॉलीवुड की सफल फिल्म 'स्पाइडमैन' के प्रसिद्ध संवाद का जिक्र करते हुए शुक्रवार को कहा कि 'ताकत के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ती' है और भारत के वैश्विक स्तर पर बढ़ते कद के साथ-साथ उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ेगी. सिंह ने एक समारोह के दौरान कहा कि वह एक ऐसे विकसित भारत की कल्पना करते हैं, जो यह सुनिश्चित करे कि लोकतंत्र, धार्मिक स्वतंत्रता, गरिमा और वैश्विक शांति जैसे सार्वभौमिक मूल्य दुनियाभर में स्थापित हों.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार 2047 तक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रही है और देश के लगभग सभी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. सिंह ने कहा, 'भारत एक उभरती शक्ति नहीं, बल्कि फिर से खड़ी हो रही ताकत है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक आर्थिक नक्शे पर अपना स्थान हासिल कर रही है.' रक्षा मंत्री ने जीवन के उच्च स्तर, सामाजिक सद्भाव और विकास प्रक्रिया में महिलाओं की समान भागीदारी वाले कल्याणकारी देश के निर्माण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, 'आइए, मिलकर ऐसे भारत का सपना देखें, जहां सभी लोगों में राष्ट्र निर्माण की समान भावना हो, जहां सभी भारतीय बिना किसी भेदभाव के मिलकर काम कर सकें.' सिंह ने कहा, 'आइए, हम एक ऐसे भारत का सपना देखें, जहां लोगों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि उनके ज्ञान और चरित्र से आंका जाए, जहां हर भारतीय की मानवाधिकारों तक पहुंच हो और हर भारतीय अपने कर्तव्यों को लेकर प्रतिबद्ध हो.'
उन्होंने कहा, 'आइए, हम एक ऐसे भारत का सपना देखें जो इतना मजबूत हो कि अपनी रक्षा स्वयं कर सके और जो दुनिया में कहीं भी किसी भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होने के लिए तैयार हो.' उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि 17वीं शताब्दी तक भारत की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत थी और यह दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक चौथाई से अधिक योगदान देती थी, लेकिन एक कमजोर सेना और राजनीतिक गुलामी के कारण इसने अपना गौरव खो दिया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए इन दोनों मोर्चों पर काम कर रही है ताकि भारत अपने पुराने गौरवशाली दर्जे को फिर से हासिल कर सके. उन्होंने कहा कि स्वदेशी रूप से अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों का निर्माण करने वाले मजबूत रक्षा उद्योग पर आधारित एक मजबूत, युवा और प्रौद्योगिकी की जानकारी रखने वाले सशस्त्र बल तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही तथा औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा पाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
सिंह ने कहा, 'एक मजबूत सेना न केवल सीमाओं को सुरक्षित करती है, बल्कि किसी देश की संस्कृति और अर्थव्यवस्था की भी रक्षा करती है. हमारा लक्ष्य एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करना है, जो अपनी जरूरतों के साथ-साथ मित्र देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा करता हो.' रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 'यह पुनर्जागरण का युग है. यह भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में फिर से स्थापित करने का समय है.'