नई दिल्ली : रूस ने अफगानिस्तान संकट पर आज 'मॉस्को फार्मेट' वार्ता नाम से एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में भारत समेत कई देश के प्रतिनिधि और तालिबान का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शामिल होगा. इस बैठक पर पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि अफगानिस्तान मुद्दे को हल करने में भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. ऐस में भारत एक महत्वपूर्ण एशियाई शक्ति के रूप में पहचान बना सकता है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में त्रिपाठी ने कहा कि रूसी निमंत्रण को मॉस्को से एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है कि वह अफगानिस्तान में भारतीय भूमिका को महत्व देता है, क्योंकि भारत ने एक बेहतर भूमिका निभाई है और अब देश अधिक प्रभावशाली होने की स्थिति में है.
उन्होंने कहा कि इससे यह भी पता चलता है कि न केवल रूस, बल्कि चीन निश्चित रूप से इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत इस क्षेत्र में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकता है. बता दें कि पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की थी कि भारत अफगानिस्तान पर आयोजित मॉस्को बैठक में भाग लेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता कि बैठक में कौन शामिल होगा, लेकिन इसकी संभावना है कि संयुक्त सचिव स्तर का कोई अधिकारी इसमें हिस्सा लेगा.
पूर्व राजदूत ने कहा कि हालांकि, अफगानिस्तान मुद्दे पर आयोजित हुई ट्रोइका बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था. आगामी बैठक के साथ भारत का कद बढ़ गया है, क्योंकि जल्द ही, भारत अफगानिस्तान पर एक बैठक की मेजबानी करने जा रहा है. अगर भारत इस क्षेत्र में नेतृत्व करता है तो अफगानिस्तान के मुद्दे का कोई हल निकल सकता है.
उन्होंने कहा कि आज भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 टन भोजन की मानवीय सहायता की घोषणा की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अफगानिस्तान के लोगों की मदद करना चाहता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने के लिए तालिबान सरकार को नरम चेहरा दिखाना चाहिए. त्रिपाठी कहा कि तालिबान के लिए भारत द्वारा मान्यता और उसके संबंधों को आसान बनाना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि एशिया में चीन को छोड़कर, भारत इस क्षेत्र में प्रमुख प्रस्तावक है.