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उत्तरी क्षेत्र में फॉरवर्ड एयर बेस पर पहुंचा हेरॉन मार्क 2 ड्रोन, खासियत जान कर हो जायेंगे हैरान

उत्तरी क्षेत्र में भारत से लगे चीन और पाकिस्तान की सीमा पर लगातार निगरानी की जरूरत को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने वीनतम हेरॉन मार्क 2 ड्रोन को फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 13, 2023, 8:06 AM IST

फॉरवर्ड एयर बेस (उत्तरी क्षेत्र) : भारतीय वायु सेना ने अपने तरकश में नवीनतम हेरॉन मार्क 2 ड्रोन को शामिल किया है. यह हेरॉन मार्क 2 ड्रोन मारक और निगरानी दोनों क्षमता से लैस है. अब ये ड्रोन उत्तरी क्षेत्र में फॉरवर्ड एयर बेस पर सीमा की निगरानी में वायु सेना की मदद करेंगे. ये ड्रोन एक ही उड़ान जिसे वायु सेना की भाषा में सॉर्टी कहा जाता है चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं की निगरानी करने में सक्षम हैं. चार नए हेरॉन मार्क-2 ड्रोन, जो लंबी दूरी की मिसाइलों और अन्य हथियार प्रणालियों से लैस हैं को उत्तरी क्षेत्र में एक फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया गया है.

उपग्रह संचार क्षमता से लैस : ये ड्रोन उपग्रह संचार क्षमता से लैस हैं. लंबे समय से भारतीय वायु सेना इस ड्रोन को अपने बेड़े में शामिल करने की प्रतिक्षा कर रही थी. हेरॉन मार्क 2 ड्रोन बहुत लंबी दूरी पर लगभग 36 घंटों तक काम कर सकते हैं. लड़ाकू विमानों की मदद के लिए बहुत लंबी दूरी से दुश्मन के लक्ष्यों को लेजर के माध्यम से निर्देशित भी कर सकते हैं. इतना ही नहीं आवश्यकता पड़ने पर ये ड्रोन अपने घातक मिसाइलों से हमला करके उन्हें नष्ट भी कर सकते हैं.

हवा में एक ही स्थान से पूरे देश की निगरानी :ड्रोन स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर पंकज राणा ने बेस पर एक विशेष बातचीत में बताया कि हेरॉन मार्क 2 एक बहुत ही सक्षम ड्रोन है. यह लंबे समय तक हवा में रहते हुए निगरानी कर सकता है. यह 'दृष्टि की रेखा से परे' जा कर निगरानी करने में सक्षम है. इस ड्रोन के माध्यम से हवा में एक ही स्थान से पूरे देश की निगरानी की जा सकती है.

कई तरह के मिशन के साथ-साथ एक ही मिशन में कई भूमिका निभा सकता है हेरॉन मार्क 2 ड्रोन :उन्होंने कहा कि अधिक समय तक काम करने की इसकी क्षमता यह सुनिश्चित करती है कि इसका इस्तेमाल कई तरह के मिशनों में किया जा सकता है. इसके साथ ही यह एक मिशन में कई भूमिका निभाने में भी सक्षम है. राणा ने कहा कि ड्रोन ने भारतीय वायु सेना की खुफिया, निगरानी और टोही मैट्रिक्स की क्षमता में कई गुना का इजाफा किया है. ड्रोन की प्रमुख ताकत पर प्रकाश डालते हुए राणा ने कहा कि यह लक्ष्य की चौबीसों घंटे निगरानी कर सकता है. आधुनिक एवियोनिक्स और इंजनों ने यह सुनिश्चित किया है. ड्रोन की परिचालन सीमा अद्भुत है.

किसी भी मौसम और किसी भी इलाके में उपयोगी : उन्होंने कहा कि ड्रोन अपने लक्ष्य को पूरा करने और मिशन को पूरा करने के लिए किसी भी मौसम और किसी भी इलाके में काम कर सकता है. राणा ने बल की नवीनतम मानवरहित मशीन की प्रमुख खूबियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां से उड़ान भरते हुए, ड्रोन दोनों विरोधियों (पाकिस्तान और चीन) को एक ही उड़ान में कवर कर सकता है.

एंटी टैंक हथियारों और बमों से कर सकते हैं लैस :रक्षा अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन हथियारों से लैस होने में सक्षम हैं और उन्हें हथियारबंद करने की दिशा में काम जारी है. उन्होंने कहा कि ड्रोन विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस हो सकते हैं, क्योंकि मूल उपकरण निर्माता इसे हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों, हवा से जमीन पर मार करने वाले एंटी टैंक हथियारों और बमों से लैस कर सकते हैं.

प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रही है वायुसेना :स्क्वाड्रन लीडर अर्पित टंडन, जो हेरॉन मार्क 2 ड्रोन के पायलट हैं, ने कहा कि क्षमता के हिसाब से देखें तो हेरॉन ड्रोन के नए संस्करण में पिछले संस्करणों की तुलना में कई चीजें जुड़ी हैं. हेरॉन ड्रोन 2000 के दशक की शुरुआत में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था.

हेरॉन मार्क 2 के पेलोड और ऑनबोर्ड एवियोनिक्स उप-शून्य तापमान और किसी भी मौसम की स्थिति में काम कर सकते हैं. इससे भारतीय वायु सेना को किसी भी प्रकार के इलाके में निगरानी में मदद मिल रही है. भारतीय वायु सेना प्रोजेक्ट चीता पर भी काम कर रही है, जिसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों के लगभग 70 हेरॉन ड्रोन को उपग्रह संचार लिंक के साथ उन्नत किया जाना है. इसके साथ ही सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ड्रोन को हथियारबंद भी किया जाना है.

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31 प्रीडेटर ड्रोन : भारतीय सशस्त्र बलों को 31 प्रीडेटर ड्रोन भी मिल रहे हैं, जो उच्च ऊंचाई, लंबी सहनशक्ति श्रेणी में हैं. इनसे वर्तमान में नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र के बड़े इलाकों को कवर करने में मदद मिल रही है. भारत को ड्रोन का एक ऐसा संस्करण मिल रहा है जो हथियारों से लैस हो सकता है और इसमें विभिन्न इलाकों में विभिन्न भूमिकाओं के लिए सेंसर होंगे. इनमें से पंद्रह ड्रोन भारतीय नौसेना द्वारा संचालित किए जाने हैं, जबकि अन्य दो सेनाओं को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे.

(एएनआई)

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