वाराणसी : बस तीन दिन और फिर नए साल 2024 का उत्साह चारों ओर दिखाई देगा. नए साल के आगमन को लेकर हर कोई उत्साहित है. हर किसी को उम्मीद है कि आने वाला नया साल बेहतर संभावनाएं और अवसर लेकर आएगा. इसके अलावा भारत देश और मजबूत शक्ति बनेगा. क्या सच में 2024 ग्रह नक्षत्र की बदली हुई चाल की वजह से बड़ा बदलाव होगा और कैसा होगा भारत का राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक भविष्य. देश के हालात के साथ ही विश्व में कैसी स्थितियां होंगी. इन्हीं सवालों का जवाब हमने काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री से जाना.
गुरु और शनि की युति भारत को करेगी मजबूत :ज्योतिषाचार्य पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री की गणना के अनुसार वर्ष 2024 में गुरु और शनि की युति भारत को मजबूत करेगी. हालांकि तमाम उठा पटक राजनीतिक उतार-चढ़ाव और आपदाओं और युद्ध के बीच 2024 में काफी अलग तरह का साल साबित होगा. वर्ष 2024 में गुरु सूर्य और मंगल ग्रह नव पंचम राज योग बना रहे हैं. नया साल 2024 आयुष्मान योग में आ रहा है जो अपने आप में बहुत ही शुभ माना गया है. आयुष्मान के साथ ही नए साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी सोमवार को आदित्य मंगल योग गजकेसरी योग और लक्ष्मी नारायण योग का भी संयोग बन रहा है. इन शुभ योगी में नए साल की शुरुआत विशेष फलदाई होगी.
दक्षिण में सत्ता परिवर्तन संभव : किसी विशिष्ट व्यक्ति जैसे कथावाचक एवं धर्माचार्य की प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती है. वातावरण में उष्णता होगी. किसी मनोरंजन स्थल पर जनक्षति संभव है. किसी ज्वरादि रोग का प्रकोप होगा. शेयरों में अस्थिरता रहेगी. क्रूड के मूल्यों में कमी संभव है. स्वर्ण में अल्प वृद्धि पश्चात अधिकांशतः स्थिरता रहेगी. वस्तुओं और तथा सेवाओं की उपलब्धता तथा उत्तरार्द्ध में मूल्यों में स्थिरता व कमी होगी. देश के पश्चिम तथा उत्तरपूर्वी राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति सोचनीय रहेगी. पश्चिमोत्तर भाग में आतंकी व विघटनकारी शक्तियां तेजी से प्रभावी होंगी. दक्षिण में सत्ता परिवर्तन संभव है. सरकार द्वारा पारित किसी से में विशेष कानून प्रस्ताव को लेकर विपक्ष का असहयोग तथा आन्दोलन होगा. देश में पूंजी निर्माण के प्रयास होंगे. घरेलू गृह उद्योगों में वृद्धि, सरकार द्वारा श्रमिकों तथा कृषक वर्ग हेतु प्रबल कल्याणकारी नीतियां बनेंगी तथा करों तथा वस्तुओं के मूल्यों में संघट समायोजन होगा. क्रीड़ा के क्षेत्र में यश प्राप्ति होगी. किसी प्रसिद्ध कलाकार गति का वियोग तथा प्रकाशन संस्थाओं को कष्ट व क्षति होगी. सुरक्षाकर्मियों में असंतोष होगा. शिक्षण संस्थानों में अराजकता तथा हिंसात्मक कार्यवाही फिर होगी. पर्वतीय क्षेत्रों में पर्वत विखण्डन तथा भूस्खलन से क्षति संभव है.