नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर (Dr S Jaishankar ) ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय राजधानी में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव ( Sergey Lavrov) से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग, रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा (discussion on global and regional issues) की. साथ ही उन्होंने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी गहन चर्चा की.
लावरोव और जयशंकर के बीच की हुई मुलाकात को लेकर पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा (Former diplomat Achal Malhotra) ने कहा, 'हमें व्यापक संदर्भ में हाल के वर्षों में भारत की विदेश नीति (India's foreign policy) को देखना होगा. हमने शीर्ष पर अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए नीतियां अपनाई हैं. इसके परिणामस्वरूप आज हमारी एक ओर अमेरिका के साथ व्यापक, वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है और दूसरी ओर रूस के साथ विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी भी है.'
उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ें हैं और उनके संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं, लेकिन इसने हमें उनमें से प्रत्येक के साथ संबंध विकसित करने से नहीं रोका है.
पूर्व राजनयिक ने कहा कि भारत ने सभी राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़कर सभी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा किया है, क्योंकि हम चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) से दो मोर्चों पर खतरों का सामना कर रहे हैं.
विशेषज्ञ मल्होत्रा ने कहा कि रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए (strengthen defence capacity) जहां से हमने चाहा, वहां से रक्षा आवश्यकता को पूरा किया है. नतीजतन, हम अमेरिका, रूस, फ्रांस इजराइल आदि से हथियार खरीद रहे हैं और हमने CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी धमकियों (American threats of imposing sanction) से खुद को दबाव में नहीं आने दिया है.
डॉ एस जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष के साथ बैठक को लेकर कहा है कि भारत-रूस साझेदारी (India-Russia partnership) अद्वितीय है. जयशंकर ने कहा, 'हम तेजी से भू-राजनीतिक परिवर्तनों की दुनिया में बहुत जागरूक हैं. हम अपने सहयोग मेसे अपने द्विपक्षीय संबंधों से बहुत संतुष्ट हैं.
पढ़ें - रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने रूसी समकक्ष के साथ की वार्ता
वहीं, रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने रूस-भारत संबंधों की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि हम आज 2+2 प्रारूप की बैठक का इंतजार कर रहे हैं. आज की चर्चा के बाद हस्ताक्षर करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेजों का मसौदा तैयार किया गया है.
विशेषज्ञ मल्होत्रा ने आगे बताया कि सभी बड़ी शक्तियां अपने कारणों से भारत को एक आवश्यक भागीदार के रूप में देख रही हैं.