नई दिल्ली :अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत की यात्रा पर हैं. उनकी यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है. भारत आने से पहले, रक्षा सचिव ऑस्टिन जापान और दक्षिण कोरिया का दौरा कर चुके हैं.
यह यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव जारी है. इस बीच अमेरिका और चीन के बीच भी तनाव बढ़ रहा है.
ईटीवी भारत के साथ बातचीत में, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि अमेरिकी रक्षा सचिव की भारत यात्रा महत्वपूर्ण है और यह दर्शाती है कि 'क्वाड' बैठक के दौरान हुई चर्चाओं पर अब जमीनी स्तर पर काम शुरू किया जाएगा.
हर्ष वी पंत की ईटीवी भारत से बातचीत सुरक्षा मैट्रिक्स में भारत की भूमिका अहम
पंत ने कहा कि भारत, अमेरिका का सहयोगी (alliance partner) नहीं है, लेकिन रणनीतिक साझेदार (strategic partner) है और यह दर्शाता है कि भारत अमेरिकी विदेश नीति और हिंद-प्रशांत में सुरक्षा मैट्रिक्स में कितना महत्वपूर्ण हो गया है.
चीन को मिलेगा माकूल जवाब
उन्होंने कहा, इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि बाइडेन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के निराधार दावों को लेकर मुखर रहे हैं. उन्होंने समय-समय पर जोर देकर कहा है कि वह बीजिंग के आक्रामक रवैये का माकूल जवाब देंगे. इसलिए अमेरिका, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने संबंधों को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
त्रिपक्षीय सहयोग का महत्व
भारत का दौरा करने से पहले, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव ऑस्टिन ने जापान और दक्षिण कोरिया का दौरा किया. चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीति से निपटने के लिए उन्होंने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच त्रिपक्षीय सहयोग के महत्व पर बल दिया.
अभी नहीं दिखी है बाइडेन की उदारता
चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ने की आशंका है. चीन उम्मीद कर रहा था कि शायद, बाइडेन प्रशासन ट्रंप की तुलना में अधिक उदार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. बाइडेन प्रशासन व्यापार, सुरक्षा, मानवाधिकार मुद्दों सहित कई मोर्चों पर चीन पर दबाव डाल रहा है. भारत और अमेरिका साथ काम करके देखेंगे कि वह किस तरह के कदम उठा सकते हैं.
एस-400 की खरीद पर भारत का पक्ष
भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर पंत ने कहा कि यह जटिल मुद्दा है. अमेरिकी कानून 'CAATSA'- (Countering America's Adversaries through Sanctions Act), के तहत अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है, जैसे उसने तुर्की पर लगाया है. हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. गौर हो की रूस और भारत हमेशा से करीबी देश रहे हैं. लेकिन रूस के पश्चिमी देशों के साथ संबंध संतोषजनक नहीं हैं. अमेरिका ने हाल ही में रूस पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं और अमेरिका ने रूस के विशेष राजदूत को भी तलब किया है.
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विस्तारवादी प्रयासों पर लगाम
उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ रहा है. हालांकि भारत को अपना पक्ष रखना होगा कि अमेरिका, रूस के साथ भारत के एस-400 समझौते को भारत की रक्षा जरूरत के नजरिए से देखे. यह भारत को चीन के विस्तारवादी प्रयासों पर लगाम लगाने में मदद करेगा.
मिलकर काम करने की इच्छा
बता दें कि शनिवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की दोनों के बीच व्यापक और फलदायक चर्चा हुई. दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका की व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को पूर्ण क्षमता पर ले जाने के लिए साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की.
राजनाथ-ऑस्टिन के बीच बहुपक्षीय अभ्यासों को लेकर भी चर्चा
भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों को लेकर भी चर्चा की. बयान में कहा गया कि मूलभूत समझौतों, LEMOA, COMCASA और BECA को ध्यान में रखते हुए हमने आपसी लाभ के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की.
अमेरिका की प्रतिबद्धता- रक्षा साझेदारी
अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन ने एक संयुक्त बयान में दोहराया कि अमेरिका ने क्षेत्र के लिए अपने दृष्टिकोण के एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में भारत के साथ व्यापक रूप से रक्षा साझेदारी की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अमेरिकी रक्षा मंत्री के साथ वैश्विक रणनीतिक स्थिति पर व्यापक बातचीत की.
अमेरिका को रूस को काबू में करने की जरूरत
इसके अलावा, पूर्व राजनयिक जितेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि ऑस्टिन की भारत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, भारत विश्व शक्ति के खेल में एक क्षेत्रीय खिलाड़ी बन गया है. उन्होंने कहा कि एशिया में चीन और रूस से जीतने के लिए अमेरिका को भारत की आवश्यकता है. भारत को अमेरिका की उतनी ही जरूरत है, जितनी अमेरिका को भारत की, ताकि वह अपने दुश्मन का मुकाबला कर सके. जहां एक ओर, अमेरिका को रूस को काबू में करने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर, भारत को इसमें बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है.
जितेंद्र त्रिपाठी की ईटीवी भारत से बातचीत गुरुवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से भी मुलाकात की. ऑस्टिन ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए अमेरिकी सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराया. उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उससे परे शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाने के लिए अमेरिका की मजबूत इच्छा व्यक्त की.