वाराणसी:2024 का चुनाव नजदीक है और चुनाव नजदीक आने के साथ ही एक बार फिर से वोट बैंक के लिए जातिगत राजनीति शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी ने G20 के बहाने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से दलितों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है. हमेशा से ही वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखने वाले दलित वोट बैंक को साधने के लिए खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर आज वाराणसी में एक दलित कार्यकर्ता के घर पहुंच गए, जहां उन्होंने ना सिर्फ परिवार के साथ बैठकर बातचीत की, बल्कि सुबह का नाश्ता भी इसी दलित कार्यकर्ता के परिवार के साथ ग्रहण किया. जो निश्चित तौर पर बीजेपी की तरफ से दलितों को साधने का 2024 लोकसभा चुनावों का बड़ा मास्टर प्लान माना जा सकता है.
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा और फिर निकाय चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने के बाद वोटर्स के अलावा अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत करने की शुरुआत कर दी है. लगातार टिफिन बैठकों के जरिए कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का काम बीजेपी कर रही है. पिछले दिनों बीजेपी के विधायक नीलकंठ तिवारी ने टिफिन बैठक का आयोजन वाराणसी में किया और आज खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टिफिन बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाराणसी पहुंचने वाले हैं. लेकिन, इसके पहले दलितों को साधने में हमेशा जुटे रहने वाले दलों में सबसे आगे रहने वाली बीजेपी ने 2024 के पहले दलित वोट बैंक पर बड़ा निशाना साधा है. दलित वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी के बड़े नेता और भारत सरकार में विदेश मंत्री एस जयशंकर आज वाराणसी में एक दलित कार्यकर्ता के घर सुबह का नाश्ता करने पहुंचे.
G20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चार दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे विदेश मंत्री को आज से शुरू हो रहे G20 सम्मेलन की अध्यक्षता करनी है, जो 13 जून तक चलेगा. लेकिन, इसके पहले वाराणसी के मलदहिया इलाके में बीजेपी के बूथ अध्यक्ष पद पर रहने वाली सुजाता कुमारी के घर पहुंचकर एस जयशंकर ने ना सिर्फ जमीन पर बैठकर खाना खाया, बल्कि दलितों के बीच यह मैसेज देने की भी कोशिश की कि बीजेपी सबका साथ सबका विकास करने वाली पार्टी है और किसी में भेदभाव नहीं करती. सभी को एकजुट करके चलने का प्रयास बीजेपी कर रही है. बीजेपी के मास्टर प्लान में हमेशा से ही दलितों को साधने का प्लान कुछ अलग ही होता है. कोलकाता में चुनावों के दौरान खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह भी दलित परिवार में पहुंचकर भोजन ग्रहण कर चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी में योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावों से पहले बीजेपी के दलित कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर भोजन किया है, जो कहीं ना कहीं से बीजेपी को हर चुनाव में बड़ा फायदा देता है.
एक्सपर्ट की मानें तो यह एक बड़ा दांव है. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर हेमंत कुमार माधुरी का कहना है कि चुनावों से पहले किसी भी तरह का स्टंट हमेशा से पॉलिटिकल एडवांटेज के लिए माना जाता है और 2024 के चुनावों में बहुत वक्त नहीं रहा है और भारतीय जनता पार्टी तो हमेशा से ही एक चुनाव के खत्म होने के बाद दूसरे चुनाव की तैयारियां शुरू कर देती है. इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि दलित के घर भोजन करना पॉलीटिकल स्टंट नहीं हो सकता. क्योंकि, यह हर राजनीतिक दल अपने स्तर पर करता है और इसका फायदा भी कहीं ना कहीं से चुनाव में मिलता ही मिलता है.