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यूएनएचआरसी में पाक को मुंहतोड़ जवाब, भारत ने कहा-पहले अपने गिरेबान में झांकें

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत के खिलाफ एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया. इस पर भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. भारत ने पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Feb 25, 2021, 5:15 PM IST

नई दिल्ली :भारत ने मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र के उच्च-स्तरीय खंड के दौरान पाकिस्तान के एक प्रतिनिधि के बयान के जवाब में अपने राइट ऑफ रिप्लाई का प्रयोग किया. स्थाई मिशन ऑफ इंडिया की द्वितीय सचिव सीमा पुजारी ने यूएनएचआरसी के 46वें सत्र में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है.

सीमा पुजारी ने कहा कि हमें आश्चर्य नहीं है कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने इस संवर्धित मंच का फिर से दुरुपयोग किया है. पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ निराधार और दुर्भावनापूर्ण प्रचार के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों का निरंतर दुरुपयोग करना नया नहीं है.

यूएनएचआरसी में भारत ने पाकिस्तान को दिया करारा जवाब

सचिव सीमा पुजारी ने कहा कि हम दोहराते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है. इन केंद्र शासित प्रदेशों में सुशासन और विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम हमारे आंतरिक मामले हैं.

पाकिस्तान को मिला करारा जवाब
इससे पहले पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने मंगलवार को मानवाधिकार परिषद में कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति आलोचना की थी. इसके बाद भारत का यह बयान आया है. इस पर भारत ने कड़े शब्दों में कहा कि दुनिया के सबसे खराब मानवाधिकारों में से एक देश के रूप में पाकिस्तान की पहचान है. ऐसे में भारत पर उंगली उठाने का उपक्रम करने से पहले अपना खुद का घर सही रखने का काम करें तो अच्छा होगा. पुजारी ने रेखांकित किया कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों जिनमें ईसाई, सिख और हिंदू शामिल हैं. उनपर हिंसा, संस्थागत भेदभाव और उत्पीड़न का बेरोकटोक क्रम जारी है.

पाक में मानवाधिकारों की स्थिति
सीमा पुजारी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक स्थलों पर लगातार हमले हुए हैं, जो धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के उनके अधिकार का गंभीर उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों की स्थिति बहुत खराब है.

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों की करीब 1,000 महिलाओं का हर साल अपहरण होता है. जबरन धर्म परिवर्तन कराकर पाकिस्तान में शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है. इनमें से ज्यादातर महिलाएं 16-25 साल की उम्र की हैं.

मानवाधिकार रक्षकों पर मुकदमे
पाकिस्तान बलूचिस्तान और अन्य क्षेत्रों में राजनीतिक दमन में असंतोष को दशकों से कुचल रहा है. लोगों की रहस्यमय परिस्थितियों में दुखद मौत भी हुई है. पश्तूनों और सिंधियों ने उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष जारी रखा है. पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं के दमन की घटनाओं का जिक्र करते हैं कहा कि गुलालाई इस्माइल जो कि एक पाकिस्तानी मानवाधिकार रक्षक हैं,जिन्होंने महिला हिंसा के खिलाफ अभियान चलाया और गायब हो गईं. उन पर मई 2020, में देशद्रोह, आतंकवाद और मानहानि का आरोप लगाया गया. पुजारी ने कहा कि अगस्त 2020 में इस्माइल ने यूएसए में शरण ली. प्रतिशोध के रूप में पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनके पिता मुहम्मद इस्माइल को 'आतंक' के आरोप में गिरफ्तार किया है.

गायब होने के भी किस्से कई हैं
सितंबर 2020, में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच के पूर्व परामर्शदाता इदरीश खट्टक के लापता होने की निंदा की. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तानी अधिकारियों से खट्टक की गुप्त हिरासत को जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान किया है.

पाक में आतंकियो को प्रश्रय
दुनिया में सबसे अधिक व अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संस्थाओं और व्यक्तियों का संरक्षक पाकिस्तान है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1267 और 1988 समितियों की सूची के तहत 126 व्यक्ति और 24 संस्थाएं पाकिस्तान से जुड़े हैं.

पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद एक खतरा है. न केवल भारत के लिए बल्कि इस क्षेत्र केअन्य देशों के लिए भी खतरा है. अल-कायदा के आतंकवादी और पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे उमर सईद शेख को हाल ही में बरी कर दिया जाना इस तरह की संस्थाओं के साथ पाकिस्तानी प्रतिष्ठान की सांठगांठ का स्पष्ट उदाहरण है.

पाक करता है गलतबयानी
सीमा पुजारी ने अमेरिकी विदेश मंत्री की बात करते हुए कहा कि हर जगह आतंकवाद से पीड़ितों संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने परिषद से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान को राज्य प्रायोजित आतंकवाद को समाप्त करने के लिए विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय कदम उठाने के लिए बुलाए और अपने नियंत्रण में क्षेत्रों में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को खत्म कर दे. जहां तक ​​संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का विषय है तो भारत ने तुर्की को सलाह दी कि वह संयुक्त राष्ट्र के उन प्रस्तावों को लागू करने से पहले उसका अभ्यास करे.

इसके अलावा भारत ने भारत के तथ्यात्मक रूप से गलत और अनुचित संदर्भों को खारिज कर दिया और खेद व्यक्त किया कि ओआईसी देश पाकिस्तान को भारत विरोधी प्रचार में शामिल होने के लिए प्लेटफार्मों का दुरुपयोग करने की अनुमति देते हैं.

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पुजारी ने कहा कि भारत सरकार अपने मानवाधिकारों के प्रति पूरी तरह से जागरूक है और हमारे लोगों के मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. विदेश मंत्रालय के बयान ने भारत और वैश्विक संदर्भ में मानवाधिकारों के बारे में भारत के परिप्रेक्ष्य को रेखांकित किया है.

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