नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए काफी चुनौती पैदी की है. लेकिन भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए इसके कुछ पॉजिटिव पहलू भी हैं क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भारतीय निर्यातकों के लिए नए रास्ते खोल सकते हैं. वैश्विक बाजार में भारत के इंजीनियरिंग निर्यातकों के निकाय के अध्यक्ष के अनुसार मार्च 2022 में भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में सालाना आधार पर लगभग 20% की वृद्धि दर्ज की गई. क्योंकि यह पिछले साल मार्च में 9.29 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 11.13 अरब डॉलर का हुआ है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान देश का इंजीनियरिंग निर्यात 112.10 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 46.12 फीसदी ज्यादा है. देश के कुल व्यापारिक निर्यात में इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा 26.7% है.
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी इंडिया) के अध्यक्ष महेश देसाई का कहना है कि वैश्विक और घरेलू दोनों मोर्चों पर कई चुनौतियां सामने आई हैं जो निर्यात की मौजूदा प्रवृत्ति को बनाए रखने में एक निवारक के रूप में काम कर सकती हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था को परेशान करने के लिए सबसे संवेदनशील मुद्दा है. वहीं चीन में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि भी वैश्विक सप्लाई चेन के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है. अमेरिका में मुद्रास्फीति का दबाव और चीन में अचल संपत्ति की अस्थिरता का व्यापार वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा. भारत में स्टील की बढ़ती कीमतों और कुछ वित्तीय मुद्दे भी आने वाले महीनों में भारत के निर्यात में बाधा डालेंगे.
पहली बार मार्च 2022 में इंजीनियरिंग निर्यात 11 अरब डॉलर को पार करने का जिक्र करते हुए देसाई ने कहा कि इस गति को बनाए रखने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. ईईपीसी इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 2020-21 की तुलना में 2021-22 के दौरान 34 इंजीनियरिंग उत्पाद पैनलों में से 32 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई. मार्च 2022 के दौरान नकारात्मक वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि तांबे और उसके उत्पादों, परमाणु रिएक्टरों और बॉयलरों, प्राइम माइका और उसके उत्पादों, जहाजों, नावों और तैरती संरचनाओं, और टिन एवं उसके उत्पादों में भी देखने को मिली है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संचयी रूप से नकारात्मक वृद्धि जहाजों, नावों और फ्लोटिंग स्ट्रक्चर श्रेणियों और हवाई जहाजों, अंतरिक्ष यान और भागों की श्रेणी में भी देखी गई. कुछ इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में गिरावट के बाद भी भारत का इंजीनियरिंग निर्यात पिछले वित्त वर्ष के 107.34 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पार करनें में सफल रहा.