नई दिल्ली:इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ अगले सप्ताह भारत का दौरा प्रस्तावित है. उस दौरान वह 30 साल के द्विपक्षीय राजनयिक और रक्षा संबंधों को और मजबूती देने के लिए एक लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) पर हस्ताक्षर करेंगे. इजरायल दूतावास ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है. यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बीच भी इजरायल की भारत यात्रा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे पहले अप्रैल 2022 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इजरायली समकक्ष से बात की और यूक्रेन की स्थिति सहित हाल के भू-राजनीतिक परिदृश्य पर विस्तृत चर्चा की थी. उन्होंने चल रहे द्विपक्षीय सहयोग पहलों की भी समीक्षा की.
ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में, ओआरएफ के सामरिक अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा, “भारत-इजरायल संबंध सकारात्मक विकास हो रहा है विशेष रूप से रक्षा संबंध भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं क्योंकि भारत अपने रक्षा संबंधों में विविधता लाने पर फोकस कर रहा है. यूक्रेन संकट ने रूस पर भारत की अत्यधिक निर्भरता की समस्या को उजागर किया है.
अब भारत को इस पर विचार करना होगा कि रूस के यूक्रेन में फंसने के साथ चुनौतियों का जवाब कैसे दिया जाए. इसलिए भारत को ऐसे भागीदारों की जरूरत है जो देश को उस शून्यता को दूर करने में मदद कर सकें जो रूस भारत के रक्षा मैट्रिक्स में मददगार होगा. इसलिए इज़राइल एक महत्वपूर्ण भागीदार बनने जा रहा है और यह भारत के रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी. भविष्य में संबंधों में सुधार की संभावना बढ़ेगी. बता दें कि रक्षा मंत्री गैंट्ज़ मार्च 2022 में भारत के दौरे पर आने वाले थे परंतु पूरे इज़राइल में घातक आतंकी हमलों की एक श्रृंखला के बीच उन्हें अपनी यात्रा को स्थगित करना पड़ा था.
इस साल 30 जनवरी को भारत और इज़राइल ने पूर्ण राजनयिक संबंधों के 30 साल पूरे कर लिए. इज़राइल ने 1 फरवरी 1992 को दिल्ली में अपना दूतावास खोला था. तेल अवीव में भारतीय दूतावास उसी वर्ष 15 मई को खुला. जुलाई 2017 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की इज़राइल की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत और इज़राइल ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया. भारत इजरायल सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है और रूस के बाद इजरायल भारत को सैन्य उपकरणों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.