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अमेरिकी जहाज को लेकर भारत ने अमेरिका के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त कीं : विदेश मंत्रालय - भारत ने अमेरिका के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त कीं

अमेरिकी जहाज को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने अमेरिका के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त कीं हैं. मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी जहाज जॉन पॉल जोन्स पर फारस की खाड़ी से मलक्का जलडमरूमध्य की ओर जाने के दौरान लगातार नजर रखी गई थी.

विदेश मंत्रालय
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Published : Apr 9, 2021, 8:29 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी जहाज जॉन पॉल जोन्स पर फारस की खाड़ी से मलक्का जलडमरूमध्य की ओर जाने के दौरान लगातार नज़र रखी गई थी तथा इसके भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र से गुजरने को लेकर देश की चिंताओं से अमेरिकी सरकार को राजनयिक माध्यम से अवगत करा दिया गया है .

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि भारत सरकार का समुद्र से जुड़े कानून के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि को लेकर स्पष्ट रूख है कि यह किसी अन्य देश को संबंधित तटीय देश की अनुमति के बिना विशेष आर्थिक क्षेत्र में या महाद्वीपीय क्षेत्र में सैन्य अभ्यास करने को अधिकृत नहीं करता है, विशेष तौर पर ऐसे अभ्यास जिसमें हथियार या विस्फोटक शामिल हों.

मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी जहाज जॉन पॉल जोन्स पर फारस की खाड़ी से मलक्का जलडमरूमध्य की ओर जाने पर लगातार नज़र रखी गई थी. अमेरिकी जहाज के हमारे विशेष आर्थिक क्षेत्र से गुजरने के बारे में हमने अपनी चिंताओं के बारे में राजनयिक चैनलों के माध्यम से अमेरिका को अवगत कराया है.

गौरतलब है कि अमेरिकी नौसेना ने भारत की पूर्वानुमति के बिना बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू कर दिया.

अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर की ओर से जारी बायन में कहा गया है कि मिसाइल भेदी यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के जरिये सात अप्रैल को यह अभियान शुरू किया गया.

अमेरिकी कमांडर के बयान में कहा गया है कि सात अप्रैल, 2021 को यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (डीडीजी 53) ने भारत की अनुमति के बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र लक्षद्वीप द्वीपसमूह के पश्चिम से लगभग 130 समुद्री मील दूर नौपरिवहन अधिकार एवं स्वतंत्रता अभियान शुरू किया.

भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिये उससे पूर्वानुमति लेनी होती है.

अमेरिकी बयान में दावा किया गया है कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप शुरू किया गया है. बयान के अनुसार, नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान के तहत भारत के अत्यधिक समुद्री दावों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता कानूनों के जरिये चुनौती देकर समुद्र के कानून संगत इस्तेमाल का अधिकार और स्वतंत्रता है.

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