नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि उसने निचले तटवर्ती देश के रूप में सीमापार नदियों के स्थापित उपयोगकर्ता अधिकारों सहित अपनी चिंताओं से चीन को अवगत कराया है तथा चीनी पक्ष ने स्पष्ट किया है कि वे केवल नदी की बहाव वाली जल विद्युत परियोजनाएं चला रहे हैं जिसमें ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह का मार्ग परिवर्तन शामिल नहीं है. लोकसभा में शुक्रवार को पेश 'देश में बाढ़ प्रबंधन सहित चीन, पाकिस्तान और भूटान के साथ संधि/ समझौतों के संदर्भ में जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संधि' विषय पर जल संसाधन संबंधी स्थाई समिति की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.
समिति ने आशंका जताई कि ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह का मार्ग परिवर्तन नहीं करने को लेकर चीनी पक्ष के स्पष्टीकरण के बावजूद इस बात की पूरी संभावना है कि पानी को तालाबों में संग्रहित किया जा सकता है और टर्बाइन चलाने के लिए छोड़ा जा सकता है. संसदीय समिति ने सरकार से चीन की गतिविधियों की लगातार निगरानी करने को कहा ताकि राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने समिति को बताया, 'वह ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रम की सावधानीपूर्वक निगरानी करती है जिसमें जल विद्युत परियोजनाओं को विकसित करने के लिए चीन की योजना भी शामिल है. जांगमू में एक जलविद्युत परियोजना को अक्तूबर 2015 में पूरी तरह से चालू घोषित किया गया था.'
सरकार ने बताया कि वर्ष 2011-15 की अवधि में चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्यधारा पर तीन और जलविद्युत परियोजनाएं विकसित करने की योजना बनाई और इनमें से जियाचा में एक पनबिजली परियोजना की पहली इकाई अगस्त 2020 में चालू हो गई. रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने संसदीय समिति को बताया कि मार्च 2021 में चीन ने 14वीं पंचवर्षीय योजना शुरू की जिसमें ब्रह्मपुत्र नदी के निचले क्षेत्रों में जलविद्युत विकास की योजनाओं का उल्लेख किया गया.