संयुक्त राष्ट्र :विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कहा कि भारत अफगानिस्तान में पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की कड़ी निंदा करता है. उन्होंने सशस्त्र संघर्ष के हालात में मानवीय कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त की.
सुरक्षा परिषद में सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा: मानवीय पहल की सुरक्षा विषय पर संबोधित करते हुए श्रृंगला ने कहा कि प्राचीन भारत में सशस्त्र संघर्ष के लिए धर्म-आधारित मानदंड और संघर्ष के दौरान धर्म-युद्ध में नागरिकों की रक्षा करने वाले नियम थे. नागरिकों पर हमले नहीं किए जाते थे, बल्कि उनकी रक्षा की जाती थी.
श्रृंगला ने कहा, 'हम अफगानिस्तान के कंधार में रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर गए भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की निंदा करते हैं. मैं उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं.'
पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (38) अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक बॉर्डर क्रॉसिंग के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए.
श्रृंगला ने कहा कि मानवीय कानून के सिद्धांतों के लिए आधुनिक मानवीय न्यायशास्त्र के विकसित होने से बहुत पहले भारत में यह अस्तित्व में था. भारत ने 'धर्म' या 'धार्मिक आचरण' के मार्ग का अनुसरण किया है और सदियों से सताए हुए लोगों को शरण दी है.
उन्होंने कहा,'जैसा कि हम आज देखते हैं अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून हालिया समय में वजूद में आए हैं. इतिहास में सभ्यताओं और संस्कृतियों ने गैर-लड़ाकों और नागरिक आबादी की सुरक्षा के लिए युद्ध के नियम विकसित किए है.'
पढ़ें- तालिबान ने भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी का शव रेडक्रॉस को सौंपा
उन्होंने कहा कि आज दुनिया के समक्ष कई तरह के मानवीय संकट हैं. श्रृंगला ने कहा, 'इनमें से अधिकांश सशस्त्र संघर्षों के कारण होते हैं, जो लाखों निर्दोष नागरिकों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं. कोविड-19 महामारी ने इस स्थिति को और बढ़ा दिया है.'
पिछले साल मारे गए 99 मानवीय कार्यकर्ताओं के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भारत मानवीय कर्मियों के खिलाफ हमलों की कड़ी निंदा करता है. श्रृंगला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना प्रमुख चुनौतियों में से एक है.
(पीटीआई- भाषा)