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समृद्धि की राह पर बांग्लादेश की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है भारत : राष्ट्रपति कोविंद - independence of Bangladesh from Pakistan

राष्ट्रपति कोविंद ने बांग्लादेश की अपनी पहली यात्रा (President Kovind tour Bangladesh) के समापन से पहले भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं. वह 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के स्वर्णिम समारोहों में भाग लेने बांग्लादेश के अपने समकक्ष एम. अब्दुल हमीद के आमंत्रण पर देश की तीन दिवसीय यात्रा पर बुधवार को पहुंचे थे.

President Kovind
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Published : Dec 17, 2021, 4:05 PM IST

ढाका : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Kovind tour Bangladesh) ने भारत और बांग्लादेश के बीच दशकों पुरानी नातेदारी, साझा भाषा और संस्कृति पर आधारित 'विशिष्ट रूप से करीबी' संबंध का जिक्र करते हुए शुक्रवार को कहा कि बांग्लादेश को मजबूत अर्थव्यवस्था और अधिक समृद्ध बनाने के लिए भारत उसकी मदद करने को लेकर प्रतिबद्ध है.

राष्ट्रपति कोविंद ने बांग्लादेश की अपनी पहली यात्रा के समापन (President Kovind tour Bangladesh) से पहले भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं. वह 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी (independence of Bangladesh from Pakistan) के स्वर्णिम समारोहों में भाग लेने बांग्लादेश के अपने समकक्ष एम. अब्दुल हमीद के आमंत्रण पर देश की तीन दिवसीय यात्रा पर बुधवार को पहुंचे थे.

उन्होंने कहा, 'भारतीयों के दिलों में बांग्लादेश का एक विशेष स्थान है. हमारे दशकों पुरानी नातेदारी, साझा भाषा तथा संस्कृति पर आधारित विशिष्ट रूप से करीबी संबंध हैं.' बांग्लादेश के लिए अपने समर्थन को दोहराते हुए कोविंद ने कहा कि भारत ऐसे बांग्लादेश के समर्थन में खड़ा रहेगा जो इस देश के मुक्ति आंदोलन से निकले मूल्यों को आत्मसात करता है.

उन्होंने कहा, 'भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर बांग्लादेश की यात्रा में उसकी मदद करने, अधिक समृद्ध होने के सफर में आपके साथ भागीदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है.'

पढ़ेंःराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता मुजीबुर रहमान को दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति कोविंद ने जुल्म से आजादी पाने के लिए बांग्लादेश के लोगों द्वारा किए कठोर बलिदानों को भी याद किया. उन्होंने कहा, 'हम विकट बाधाओं के खिलाफ लड़ने में आपके अदम्य साहस को सलाम करते हैं. मुझे विश्वास है कि 1971 में बहे खून और बलिदान से बना रिश्ता भविष्य में भी हमारे देशों को बांधकर रखेगा.'

(पीटीआई-भाषा)

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