नई दिल्ली/बीजिंग:भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के 'गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स' इलाके से पीछे हटने की प्रक्रिया 12 सितंबर तक (India China to complete disengagement) पूरी करेंगे. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी. मंत्रालय के इस बयान से एक दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं ने घोषणा की थी कि उन्होंने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स के 'पेट्रोलिंग प्वाइंट 15' (Gogra Hot Springs) से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है.
उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से लगभग एक सप्ताह पहले इलाके से पीछे हटने की घोषणा की गई. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भाग लेने की उम्मीद है.
बीजिंग में, यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और चीन 15 से 16 सितंबर को समरकंद में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मोदी-शी की संभावित बैठक के बारे में एक-दूसरे के संपर्क में हैं, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि 'उनके पास इस समय इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.' उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि पीछे हटने की प्रक्रिया एक सकारात्मक कदम होगा. यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के माहौल के लिए महत्वपूर्ण है और चीन भी शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत के साथ काम करने की उम्मीद करता है.'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मामले से जुड़े सवालों के जवाब में कहा, 'इस बात पर सहमति बनी कि इलाके में दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे और अन्य संबद्ध ढांचे ध्वस्त किए जाएंगे और इसकी पारस्परिक रूप से पुष्टि की जाएगी. इलाके में भूमि का वही प्राकृतिक स्वरूप बहाल किया जाएगा, जो दोनों पक्षों के बीच गतिरोध की स्थिति से पहले था.' उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने वार्ता जारी रखने और भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शांति बहाल करने एवं शेष मुद्दों को सुलझाने पर सहमति जताई है.