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एलएसी पर चौकसी : अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में विमान रोधी तोपें तैनात - एलएसी विवाद

अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास एक अग्रिम क्षेत्र में बोफोर्स तोपों को तैनात किए जाने की खबर सामने आई है. थल सेना ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में एलएसी से लगे अग्रिम इलाकों में एल 70 विमान रोधी तोपें तैनात की हैं. सेना ने वहां अच्छी खासी संख्या में एम-777 होवित्जर तोपें भी तैनात कर रखी हैं, जिन्हें तीन साल पहले हासिल किया गया था.

भारत-चीन एलएसी विवाद
भारत-चीन एलएसी विवाद

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Published : Oct 20, 2021, 6:26 PM IST

Updated : Oct 21, 2021, 8:21 AM IST

नई दिल्ली :अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर अंतर्गत बम-ला में भारत ने बोफोर्स तोप तैनात की हैं. यह इलाका वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास है. इसके पास ही भारत और चीन के बीच सीमा मिलन बिंदु (Border Meeting Point) है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि गोले बरसाने की अपनी क्षमता को बढ़ाते हुए भारतीय थल सेना ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ऊंचे पर्वतों पर अच्छी खासी संख्या में उन्नत एल-70 विमान रोधी तोपें तैनात की हैं. वहां सेना की एम-777 होवित्जर और स्वीडिश बोफोर्स तोपें पहले से तैनात हैं.

दुर्गम क्षेत्र में 3.5 किमी की रेंज वाली विमान रोधी तोपों की तैनाती उन उपायों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसे थल सेना ने पूर्वी लद्दाख में 17 महीनों के गतिरोध के आलोक में पूर्वी क्षेत्र में 1300 किमी से अधिक लंबे एलएसी पर अभियानगत तैयारियों का मजबूत करने के लिए किया है.

हर दिन हो रहा सैन्य अभ्यास
किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने की तैयारियों के तहत, थल सेना की ईकाइयां प्रतिदिन आधार पर सैन्य अभ्यास कर रही है. इसमें समन्वित रक्षा स्थानिकता भी शामिल है, जो कि पैदल सेना, वायु रक्षा और तोपखाना सहित सेना की विभिन्न शाखाएं शामिल हैं.

सैन्य अधिकारियों ने कहा कि उन्नत एल 70 तोप समूचे एलएसी पर अन्य कई प्रमुख संवेदनशील मोर्चें के अतिरिक्त अरूणाचल प्रदेश में कइ प्रमुख स्थानों पर करीब दो-तीन महीने पहले तैनात की गई थी और उनकी तैनाती से सेना के गोले बरसाने की क्षमता काफ बढ़ी है.

आधुनिक विमान को निशाना बनाने में सक्षम
आर्मी एयर डिफेंस की कैप्टन एस अब्बासी ने कहा, 'ये तोपें सभी मानवरहित वायु यान, मानवरहित लड़ाकू यान, हमलावर हलीकॉप्टर और आधुनिक विमान को गिरा सकती हैं. ये तोपें सभी मौसम में काम कर सकती हैं. इनमें दिन-रात काम करने वाले टीवी कैमरे, एक थर्मल इमेजिंग कैमरा और एक लेजर रेंज फाइंडर भी लगे हुए हैं.' उन्होंने कहा, 'तोप के गोला दागने की सटीकता बढ़ाने के लिए एक मजल वेलोसिटी रेडार भी लगाया गया है.'

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्नत तोप प्रणाली, जो एक उच्च तकनीक वाली इजराइली रेडार के साथ संचालित होती है, को इस श्रेणी में उपलब्ध वायु रक्षा तोपों में सर्वश्रेष्ठ गिना जा सकता है.

सेना ने पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में एम-777 अत्यधिक हल्के होवित्जर तोपें तैनात की हैं. इसकी अधिकतम रेंज 30 किमी है.

एक अधिकारी ने बताया कि उन्नत एल70 वायु रक्षा तोपों को मौजूदा बोफोर्स तोपों और हाल में शामिल एम-777 होवित्जर के साथ तैनात किये जाने से सेना की संपूर्ण अभियान क्षमता बढ़ी है.

एल70 तोपों को मूल रूप से स्वीडिश रक्षा कंपनी बोफोर्स एबी ने 1950 के दशक में निर्मित किया था और भारत ने 1960 के दशक से शामिल करना शुरू किया. इस तोप को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने उन्नत किया है.

बता दें कि इससे पहले लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी को लेकर भारत और चीन के बीच गतिरोध देखा जा चुका है. गौरतलब है कि रिटायर्ड फौजी, जनरल डीएस हुड्डा ने एलएसी गतिरोध को लेकर कहा था कि भारत को चीन पर दबाव बनाना है, तो उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी रणनीति बदलनी होगी. हमारी पारंपरिक सोच और रणनीति काम नहीं आएगी. कारगिल समीक्षा समिति ने सीमा प्रबंधन को लेकर कई सुझाव दिए हैं. उस पर अविलंब कार्रवाई की जरूरत है.

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गलवान के तनाव के संबंध में डीएस हुड्डा ने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ के चीनी प्रयासों का पुरजोर विरोध किया है, और इसके कारण ही 15 जून को संघर्ष हुआ, जिसमें 20 सैनिक शहीद हो गए.

स्थिति कितनी गंभीर है?

इलाके में पहले भी कई घुसपैठें हुई हैं, जिनमें से2013 में डेपसांग, 2014 में चुमार और 2017 में डोकलाम जैसे विस्तारित तनाव पैदा किए. हालांकि, ये स्थानीयकृत घटनाएं थीं, जिन्हें दोनों पक्षों के बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्वक हल किया गया था. वर्तमान में चीन द्वारा की जा रही गतिविधियां पूरी तरह से अलग हैं.

वास्तविक नियंत्रण रेखा के विभिन्न क्षेत्रों में चीनी सैन्य बल बड़ी संख्या में हैं और स्पष्ट रूप से चीनी सरकार के उच्चतम स्तर से रजामंदी प्राप्त है. चीनी सैन्य की कार्रवाई के साथ होने वाली हिंसा अभूतपूर्व है और दोनों सेनाओं के आचरण को निर्देशित करने वाले सभी प्रोटोकॉल पूरी तरह से ताक पर रख दिए गए हैं.

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चीन द्वारा की गई इन हरकतों ने हमें संघर्ष के नियमों के पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर कर दिया है, जो भारतीय सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आचरण को तय करते हैं और हम अधिक आक्रामक व्यवहार देखने के लिए बाध्य हैं. सीमा प्रबंधन के लिए इसके दीर्घकालिक प्रभाव पड़े हैं और निकट भविष्य में कम से कम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर माहौल और ज्यादा गर्म हो सकता है.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Oct 21, 2021, 8:21 AM IST

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