नई दिल्ली : भारत और चीन 15वें दौर की सैन्य वार्ता में लंबित मुद्दों को हल करने की दिशा में कोई महत्वपूर्ण प्रगति कर सकने में नाकाम रहे, लेकिन दोनों देश यथाशीघ्र परस्पर स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए वार्ता जारी रखने को सहमत हुए. करीब 13 घंटे तक चली बैठक के एक दिन बाद, दोनों पक्षों ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में एक बार फिर से कहा कि इस तरह का एक समाधान पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद करेगा तथा द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सुगम करेगा.
पूर्वी लद्दाख में एलएसी से भारतीय क्षेत्र की ओर चुशुल-मोल्दो बॉर्डर प्वाइंट पर शुक्रवार को 15वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी. रक्षा मंत्रालय और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि वार्ता में कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकल सका. दिल्ली और बीजिंग से साथ-साथ जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, 'इस तरह का एक समाधान पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद करेगा और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सुगम करेगा.' सरकार पूर्वी लद्दाख को पश्चिमी सेक्टर कहती है. दोनों पक्ष क्षेत्र में जमीन पर सुरक्षा एवं स्थिरता कायम रखने और सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों के जरिये वार्ता जारी रखने के लिए सहमत हुए.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे टकराव वाले शेष स्थानों पर 22 महीने लंबे गतिरोध का हल करने के लिए 15वें दौर की सैन्य वार्ता के एक दिन बाद एक संयुक्त बयान में यह कहा गया है. संयुक्त बयान में कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिए 12 जनवरी 2022 को हुई पिछले दौर की वार्ता से अपनी चर्चा को आगे बढ़ाया.'
इसमें कहा गया है, 'उन्होंने शेष मुद्दों के हल के लिए यथाशीघ्र कार्य करने को लेकर दोनों देशों के नेताओं द्वारा किये गये मार्गदर्शन के आलोक में इस बारे में विचारों का विस्तृत रूप से आदान-प्रदान किया.' संयुक्त बयान में कहा गया है, 'शेष मुद्दों के यथाशीघ्र परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिए वे सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता करते रहने को भी सहमत हुए.'