नई दिल्ली/बीजिंग: भारत और चीन ने बुधवार को बीजिंग में कूटनीतिक वार्ता की और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुले एवं रचनात्मक तरीके से चर्चा की, लेकिन इसमें कोई समाधान निकलने का संकेत नहीं है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने बीजिंग में भारत-चीन सीमा विषय पर विचार विमर्श एवं समन्वय के कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक में इन प्रस्तावों पर चर्चा की.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने वर्तमान समझौते और प्रोटोकॉल के तहत इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये जल्द ही किसी तिथि पर 18वें चरण की वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की. बीजिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय ने भी अपनी ओर से एक बयान जारी कर कहा कि दोनों पक्षों ने चीन-भारत सीमा मुद्दे पर शुरूआती चरण में हुई सकारात्मक प्रगति की समीक्षा की, गलवान घाटी और चार अन्य स्थानों पर दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाने के नतीजों का समर्थन किया.
बयान में कहा गया है कि उन्होंने अगले चरण के परामर्श के लिए रुख पर विचारों का स्पष्ट रूप से और गहराई से आदान-प्रदान किया. सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए वार्ता और समन्वय को लेकर वर्ष 2012 में डब्ल्यूएमसीसी का गठन किया गया था. नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति की समीक्षा की तथा (टकराव वाले) शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुले और रचनात्मक तरीके से चर्चा की, ताकि इस सेक्टर में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बहाल की जा सके और द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए माहौल बनाया जा सके.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक माध्यमों से चर्चा जारी रखने पर सहमति व्यक्त की. मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूएमसीसी की 26वीं बैठक बीजिंग में 22 फरवरी 2023 को आमने-सामने बैठकर हुई. जुलाई 2019 में हुई 14वीं बैठक के बाद यह पहली डब्ल्यूएमसीसी बैठक थी जो आमने-सामने हुई. चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति और भी स्थिर करने के लिए दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी अहम सहमति का सक्रियता से क्रियान्वयन करने के लिए सहमत हुए.