नई दिल्ली :करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद रविवार को भारत और चीन में कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता की. इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना है. भारत की तरफ से दो टूक कहा गया कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मई से पहले की स्थिति बहाल करे और पीछे हटे. एलएसी पर मई के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की ओर स्थित मोल्दो सीमावर्ती क्षेत्र में पूर्वाह्न दस बजे शुरु हुई थी. इससे पहले, छह नवंबर को हुई आठवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं.
भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने की जिम्मेदारी चीन की है. कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के अत्यधिक ऊंचे स्थानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था, लेकिन भारत ने टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू करने की बात कही थी.