नई दिल्ली : भारत और पांच मध्य एशियाई देशों (India and five Central Asian countries) ने गुरुवार को अपने पहले सम्मेलन में अफगानिस्तान पर संयुक्त कार्य समूह के गठन का निर्णय लिया, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भारत और मध्य एशिया के बीच सहयोग आवश्यक है और अफगानिस्तान के मद्देनजर मौजूदा वक्त में यह और जरूरी हो गया है.
सम्मेलन में भारत और पांच मध्य एशियाई देशों ने जोर देकर कहा कि सीमा पार आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए प्रॉक्सी का उपयोग करना मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने आतंक से मुक्त दुनिया के लिए व्यापक रूप से खतरे का मुकाबला करने का आह्वान किया.
भारत-मध्य एशिया सम्मेलन का हर दूसरे साल होगा आयोजन
बेहद महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए नेताओं ने भारत-मध्य एशिया सम्मेलन का हर दूसरे साल आयोजन करने और विदेश, व्यापार तथा संस्कृति मंत्रियों के बीच लगातार बैठकें करने का फैसला लिया. इस नयी प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए नयी दिल्ली में भारत-मध्य एशिया सचिवालय बनाया जाएगा.
सम्मेलन में कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जुमरात तोकायेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमामअली रहमान, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहम्मदेवो और किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सद्र जापारोप ने भाग लिया. सम्मेलन के बाद नेताओं ने 'दिल्ली घोषणापत्र' जारी किया और 'आतंकवाद मुक्त विश्व' बनाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ मिलजुल कर लड़ने पर राजी हुए.
इस पर जोर देते हुए कि मध्य एशिया 'समेकित और स्थिर पड़ोस के भारत के दृष्टिकोण का मुख्य बिन्दु है' प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय संपर्क और अगले 30 साल तक सहयोग बनाए रखने की बात कही ताकि सम्मेलन के तीन मुख्य लक्ष्य प्राप्त हो सकें. सम्मेलन, से दो दिन पहले चीन ने मध्य एशियाई देशों के साथ अलग से बैठक की थी.