हैदराबाद : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा इतिहास में याद किया जाएगा. पीएम ने 'बांग्लादेश के पिता' शेख मुजीबुर रहमान को महात्मा गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने उनकी ओर से अवार्ड प्राप्त करते हुए भारत का शुक्रिया अदा किया. बांग्लादेश को आजादी मिलने पर शेख मुजीबुर रहमान ने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने हमारे लिए अपना खून बहाया, उसे हमारे लोग हमेशा याद रखेंगे.
भारत और बांग्लादेश न सिर्फ सीमा, बल्कि सामाजिक, सांस्कृति और आध्यात्मिक स्तर पर भी जुड़े हुए हैं. बांग्लादेश की स्वतंत्रता ने साबित कर दिया कि एक राष्ट्र धर्म से अधिक भाषा के स्तर पर जुड़े होते हैं. 'अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा डे' बांग्लादेश की उत्पत्ति की प्रेरणा है. अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंगर ने भले ही बांग्लादेश का 'बास्केट केस' कहकर मजाक उड़ाया हो, लेकिन आज की तारीख में यह पाकिस्तान के मुकाबले विकास के हर सूचकांक में आगे है. यह सचमुच में बांग्लादेश की स्वर्ण जयंती का वर्ष है.
1975 में इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने भारत-बांग्लादेश संधि पर हस्ताक्षर किए थे. उसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कई बार उतार-चढ़ाव आए. शरणार्थियों और पानी के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी. हालांकि सीमा, सीमा के जरिए अवैध आवाजाही, भारत विरोधी कैंप, भारत के खिलाफ कुप्रचार जैसे मुद्दों की वजह से भी दोनों देशों के बीच रिश्ते तनाव ग्रस्त रहे. लेकिन जैसे-जैसे बांग्लादेश में प्रजातंत्र ने अपनी स्थिति मजबूत की, दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होते चले गए. गलतफहमियां दूर होती गईं. 2015 में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद खत्म हो गया. 10 साल पहले तीस्ता नदी पर हुए समझौतों को अगर पटरी पर लाया जाए, तो सचमुच एक नया इतिहास लिखा जा सकेगा.