नई दिल्ली: जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने शुक्रवार को कहा कि भारत मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए एक 'अपरिहार्य' भागीदार है और तोक्यो दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को गहरा करने के वास्ते नयी दिल्ली के साथ सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है. 'ग्लोबल साउथ' (दक्षिण एशिया के विकासशील देश) पर भारत के ध्यान केंद्रित किए जाने की सराहना करते हुए हयाशी ने कहा कि स्वतंत्र और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का आह्वान तब तक सिर्फ एक नारे की तरह लग सकता है, जब तक कि विकासशील देशों के सामने पेश आने वाली चुनौतियों का हल तलाशने के लिए पर्याप्त प्रतिबद्धता न हो. हयाशी भारत के दो दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली पहुंचे थे.
अनंत सेंटर और विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को आयोजित भारत-जापान मंच को संबोधित करते हुए हयाशी ने कहा कि साइबर और अंतरिक्ष जैसे नये क्षेत्रों में भारत-जापान पहल पर प्रगति हुई है तथा रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी सरीखे क्षेत्रों में ‘पर्याप्त सहयोग’ को साकार करने की दिशा में चर्चा जारी है. हयाशी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में कहा, 'ऐसे समय में, जब यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता सहित कई गंभीर चुनौतियां हैं, जापान और भारत दुनिया को विभाजन और टकराव के बजाय सहयोग की ओर ले जाने की आवश्यकता को पूरी तरह से समझते हैं.'
उन्होंने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में कहा, 'कानून के शासन पर आधारित खुली एवं स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ऐसी दुनिया के सपने को साकार करने के लिए अहम है.' हयाशी ने विस्तार से समझाया कि 'स्वतंत्र' का अर्थ यह है कि प्रत्येक देश अपनी संप्रभुता के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हों और 'खुले' का मतलब समावेशन, खुलेपन और विविधता जैसे सिद्धांतों के प्रति सम्मान से है.
उन्होंने कहा, 'यह अहम है कि हम मूल्यों को थोपने या कुछ देशों को अलग-थलग करने से बचें. यह अवधारणा छोटे देशों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. भारत के साथ समन्वय में जापान 'खुले और स्वतंत्र हिंद प्रशांत' या एफओआईपी को साकार कर ऐसी अवधारणा को मूर्त रूप देने का इरादा रखता है.' जयशंकर ने अपने संबोधन में जापान को भारत का स्वाभाविक साझेदार करार दिया. मार्च में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने नयी दिल्ली में एफओआईपी को लेकर तोक्यो की नयी योजना की घोषणा की थी.
हयाशी ने कहा, 'यह तथ्य अपने आप में जापान द्वारा भारत को दिए जाने वाले महत्व का साक्ष्य है, क्योंकि आपका देश एफओआईपी यानी एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद प्रशांत को प्राप्त करने में अपरिहार्य भागीदार है.' उन्होंने मई में हिरोशिमा में हुए जी7 देशों के शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि समूह और भारत तथा यूक्रेन जैसे आमंत्रित देशों के नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि कहीं भी बलपूर्वक यथास्थिति बदलने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.