पटना: 31 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में विपक्षी दलों की तीसरी बैठक होगी. दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में शामिल होने के लिए आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मंगलवार को ही पहुंच चुके हैं. वहींमुख्यमंत्री नीतीश कुमारऔर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह आज पटना से मुंबई पहुंचेंगे. इंडिया गठबंधन की ये तीसरी बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि सियासी दलों के बीच किस प्रकार से सीट का बंटवारा होगा, उस पर मंथन होगा. साथ ही संयोजक के महत्वपूर्ण पद पर भी फैसला होगा.
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नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक होंगे?:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वैसे तो लगातार कहते रहे हैं कि उनको कोई पद नहीं चाहिए. वह न तो संयोजक और न ही प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी चाहते हैं. हालांकि जेडीयू कोटे से बिहार सरकार के कई मंत्री और वरिष्ठ नेता लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद और संयोजक पद के सबसे योग्य उम्मीदवार हो सकते हैं. इंडिया गठबंधन यदि नीतीश कुमार को संयोजक बनाता है तो गठबंधन को लाभ मिलेगा.
क्या कहते हैं सियासी जानकार?:इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि नीतीश कुमार पहले भी मुख्यमंत्री पद को लेकर कहते रहे हैं कि 2020 में बीजेपी ने जबरदस्ती उन्हें सीएम बना दिया है, जबकि वह नहीं चाहते थे. इसके पीछे की वजह विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अधिक सीट मिलना था, इसके बावजूद वह मुख्यमंत्री बने रहे. वहीं महागठबंधन में भी जब गए तो वहां भी आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने. इसी तरह नीतीश कुमार संयोजक और पीएम पद को लेकर अपनी रणनीति के तहत बातें कह रहे हैं लेकिन असलियत में नीतीश कुमार की राजनीति प्रधानमंत्री पद को लेकर ही हो रही है.
"2020 विधानसभा चुनाव के बाद कम सीट होने के बावजूद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. वो खुद कहते थे कि बीजेपी की जिद के कारण बने हैं, उनको बनने की इच्छा नहीं था. वहीं आरजेडी के साथ आने के बाद भी वह सीएम बने, जबकि आरजेडी को अधिक सीटें हैं. इसलिए नीतीश कुमार की रणनीति का हिस्सा रहता है पहले ना कहना, बाद में वह तैयार भी हो जाते हैं"- प्रो. अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
इनकार में भी 'इकरार' का इशारा: वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि लालू प्रसाद यादव भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार संयोजक बन जाए ताकि बिहार में उनके बेटे तेजस्वी यादव के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली हो जाए लेकिन चाहे संयोजक का पद हो या फिर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार, विपक्षी दलों में से किसी नेता का चुनाव करना आसान नहीं है. यह बात नीतीश कुमार को भी पता है. इसलिए फिलहाल नीतीश कुमार ना कह रहे हैं लेकिन उनके ना कहने के पीछे भी साफ रणनीति झलक रही है.
"लालू प्रसाद यादव भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार संयोजक बन जाएं. अगर ऐसा होता है तो तेजस्वी यादव के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली हो जाएगी लेकिन चाहे संयोजक का पद हो या फिर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार, विपक्षी दलों में से किसी नेता का चुनाव करना आसान नहीं है. यह बात नीतीश कुमार बखूबी समझते हैं, इसलिए फिलहाल नीतीश कुमार ना कह रहे हैं लेकिन उनके ना कहने के पीछे भी उनकी विशेष रणनीति है"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
जेडीयू नेता चाहते हैं नीतीश के लिए बड़ी भूमिका:जेडीयू के सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने तो यहां तक कहा है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मटेरियल हैं लेकिन फैसला सब की सहमति से ही होना है. वहीं जेडीयू के वरिष्ठ नेता और सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह का भी कहना है कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं. यदि विपक्षी दल नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाते हैं तो उसका लाभ ही होगा लेकिन विपक्षी दलों की बैठक में सभी दलों की सहमति से ही यह तय होगा.
दो दिवसीय बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा:विपक्षी दलों की दो दिवसीय बैठक में 11 सदस्य कोऑर्डिनेशन कमेटी के नाम पर फैसला होना है. संयोजक पद पर फैसला हो सकता है. वहीं बीजेपी के खिलाफ पूरे देश में अधिक से अधिक सीटों पर एक उम्मीदवार देने पर सहमति बन सकती है. इसके लिए 450 सीटों से अधिक पर रणनीति बनाई जा रही है. इसके साथ ही 'एक झंडा एक निशान' पर भी हो निर्णय हो सकता है. राज्यों में कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच किस तरह से सीटों का बंटवारा हो, उस पर भी चर्चा होगी.