नई दिल्ली:भारत नेआरआईएससी-वी नामक ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके अगले साल के अंत तक नई पीढ़ी के सेमीकंडक्टर डिजाइन विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू की है. जिसकी शुरूआत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नई दिल्ली में डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम के रूप में बुधवार को किया है. देश को आरआईएससी-वी आधारित प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) स्विट्जरलैंड स्थित RISC-V इंटरनेशनल की प्रीमियर बोर्ड की सदस्यता लेने जा रहा है. बता दें कि RISC-V इंटरनेशनल एक गैर-लाभकारी माइक्रोप्रोसेसर आर्किटेक्चर डिजाइनर है.
राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि डीआईआर-वी भारत के सेमीकंडक्टर स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा और देश सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनकर उभरेगा. डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी कार्यक्रम में भारतीय स्टार्टअप, अकादमिक और शोध संस्थान और वैश्विक तकनीकी दिग्गज शामिल होंगे जो आरआईएससी-वी आधारित अर्धचालकों का उपयोग भारत को प्रौद्योगिकी के लिए एक प्रतिभा केंद्र के रूप में विकसित करेगा. इसका उद्देश्य देश में विश्व स्तरीय माइक्रोप्रोसेसर बनाना है जो अगले साल दिसंबर तक उद्योग-ग्रेड सिलिकॉन और डिजाइन पर जीत हासिल करना है.
सरकार के इस लक्ष्य में वाणिज्यिक सिलिकॉन SHAKTI और VEGA प्रोसेसर एक मील का पत्थर सावित होगा जो दिसंबर 2023 तक उनके डिजाइन पर जीत भी दिलाएगा. यह देश को सर्वर, मोबाइल उपकरणों, ऑटोमोटिव, IoT और माइक्रोकंट्रोलर के लिए RISC-V SoC (सिस्टम ऑन चिप्स) का आपूर्तिकर्ता बनने में सहयोगी बनेगा. इंटेल में x-86 प्रोसेसर चिप डिजाइनर के शुरुआती दिनों की बात करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कई नए प्रोसेसर आर्किटेक्चर इनोवेशन की लहर के प्रारंभिक चरणों से गुजरे हैं. हालांकि कुछ प्वाइंट पर वे सभी एक प्रमुख डिजाइन तक सीमित हो गए थे. एआरएम और एक्स-86 दो ऐसे आर्किटेक्चर सेट हैं- जिनमें से एक लाइसेंस प्राप्त है और दूसरा बेचा जा चुका है.