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भारत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं: मोदी

कई अखबारों में गुरुवार को प्रकाशित एक लेख में मोदी ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण ‘समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक’ होने से परिभाषित होता है. जी20 के सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया नयी दिल्ली घोषणापत्र इन सिद्धांतों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. Prime Minister Narendra Modi, G20 Presidency, New Delhi Manifesto, Fight For Women Empowerment

Prime Minister Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो.

By PTI

Published : Nov 30, 2023, 12:18 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने, वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करने, विकास का समर्थन करने के साथ हर जगह महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए लड़ाई लड़कर असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं.

ब्राजील के एक दिसंबर से जी20 की अध्यक्षता संभालने से पहले मोदी ने भारत की अध्यक्षता के तहत इस विशिष्ट समूह की यात्रा को रेखांकित किया. विश्वास जताया कि उनका देश इस विश्वास के साथ यह जिम्मेदारी सौंपेगा कि लोगों, धरती, शांति और समृद्धि के लिए हमारे सामूहिक कदम आने वाले वर्षों तक गूंजते रहेंगे.

भारत को जी20 की अध्यक्षता मिले 365 दिन होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य बहुआयामी चुनौतियों से जूझ रहा है जिनमें कोविड-19 महामारी से उबरना, जलवायु संबंधी खतरे, वित्तीय अस्थिरता और विकासशील देशों में ऋण संकट शामिल हैं.

भारत की ओर से ब्राजील को कमान सौंपे जाने के मौके पर उन्होंने कहा कि यह 'वसुधैव कुटुम्बकम' ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना को प्रतिबिंबित करने, पुन: प्रतिबद्ध करने और पुनर्जीवित करने का क्षण है. उन्होंने पिछले साल जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के समय को याद करते हुए कहा कि संघर्षों और प्रतिस्पर्धा के बीच विकास सहयोग प्रभावित हुआ जिससे प्रगति बाधित हुई.

उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता संभालते हुए भारत ने दुनिया को यथास्थिति का विकल्प देने की कोशिश की, जो जीडीपी-केंद्रित से मानव-केंद्रित प्रगति की ओर एक बदलाव है. भारत का उद्देश्य दुनिया को यह याद दिलाना है कि हमें क्या एकजुट करता है, बजाय इसके कि हमें क्या विभाजित करता है.

मोदी ने कहा कि भारत की ओर से दो संस्करणों में आयोजित अपनी तरह के पहले 'वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट' ने बहुपक्षवाद के लिए एक नई सुबह की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय संवाद में 'ग्लोबल साउथ' की चिंताओं को मुख्यधारा में लाया है और एक ऐसे युग की शुरुआत की है जहां विकासशील देश वैश्विक विमर्श को आकार देने में अपना योगदान दे सकते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 के प्रति भारत का घरेलू रुख भी समावेश से भरा हुआ है, जिससे यह आम जन का आयोजन बन गया.

उन्होंने कहा कि 2030 के एजेंडे के महत्वपूर्ण मध्य बिंदु पर, भारत ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर प्रगति में तेजी लाने के लिए जी20 कार्य योजना दी, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, लिंग समानता और पर्यावरणीय स्थिरता सहित परस्पर जुड़े मुद्दों के लिए 'क्रॉस-कटिंग', कार्रवाई-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाया गया. मोदी ने कहा कि इस प्रगति को आगे बढ़ाने वाला एक प्रमुख क्षेत्र मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई) है.

उन्होंने कहा कि जी20 के माध्यम से, हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो वैश्विक तकनीकी सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है. 16 देशों के 50 से अधिक डीपीआई वाले इस भंडार से ग्लोबल साउथ को समावेशी विकास की शक्ति को खोलने के लिए डीपीआई बनाने, अपनाने और स्केल करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि आवश्यक संसाधनों को देखते हुए जी20 ने बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों के महत्व पर जोर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही भारत संयुक्त राष्ट्र सुधारों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख अंगों के पुनर्गठन में, जो अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित करेगा.

उन्होंने कहा कि भारत का महिला आरक्षण विधेयक 2023 में भारत की संसद और राज्य विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है, जो महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

मोदी ने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने भू-राजनीतिक मुद्दों और आर्थिक वृद्धि एवं विकास पर उनके प्रभाव पर विचार-विमर्श का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और नागरिकों की हत्या अस्वीकार्य है और हमें इन पर कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के साथ ध्यान देना चाहिए. हमें शत्रुता के बजाय मानवतावाद को मूर्त रूप देना चाहिए और दोहराना चाहिए कि यह युद्ध का युग नहीं है.

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