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वैक्सीन निर्माता को हर्जाना देना तर्कसंगत कदम : विशेषज्ञ

सरकार द्वारा विदेशी वैक्सीन निर्माताओं (foreign vaccine manufacturers) को हर्जाना देने के विकल्प पर संभावनाएं तलाश करने पर एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society for Emergency Medicine) के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने कहा कि जब कोई स्वेच्छा से वैक्सीन ले रहा है और उसे संभावित दुष्प्रभावों से अवगत कराया गया है, तो कंपनी पर साइड इफेक्ट (side effects) के लिए मुकदमा करने का सवाल ही नहीं उठता.

कोले
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Published : Jun 4, 2021, 4:01 PM IST

नई दिल्ली :केंद्र सरकार विदेशी वैक्सीन निर्माताओं (foreign vaccine manufacturers) को हर्जाना देने के विकल्प पर संभावनाएं तलाश कर रही है. इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को बताया कि इस तरह की हर्जाने की अनुमति देना संभव हो सकता है.

फाइजर और मॉडर्न को अमेरिका और ब्राजील सहित कई अन्य देशों में अपने कोविड -19 टीकों के लिए इंडेमिटी क्लोज (indemnity clause) के माध्यम से मुकदमों से सुरक्षा मिली है.

प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society for Emergency Medicine) के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने कहा कि जब कोई स्वेच्छा से वैक्सीन ले रहा है और उसे संभावित दुष्प्रभावों से अवगत कराया गया है, तो कंपनी पर साइड इफेक्ट (side effects) के लिए मुकदमा करने का सवाल ही नहीं उठता.

उन्होंने कहा कि भारत को हार्ड इम्युनिटी (Hard Immunity) के अंतिम लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने और देश भर में त्वरित और सामूहिक टीकाकरण (mass vaccination) सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.

सरकार के सूत्रों ने कहा कि फाइजर ने जुलाई से अक्टूबर के बीच भारत को अपनी खुराक की 5 करोड़ खुराक की पेशकश की थी. उसके बाद भी हर्जाना देने पर चर्चा जारी है. फाइजर के अधिकारी तत्काल भारत में हर्जाना के लिए जोर दे रहा हैं.

सूत्रों ने कहा कि उन्होंने विभिन्न देशों और डब्ल्यूएचओ द्वाराटीके के लिए प्रभावकारिता परीक्षण और अनुमोदन भी साझा किया है.

फाइजर को अमेरिका और ब्राजील में प्रतिरक्षा प्रदान की गई है, जहां किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.

भारत ने अब तक किसी भी निर्माता को किसी भी गंभीर दुष्प्रभाव के लिए हर्जाना नहीं दिया है.

अगर सरकार के सूत्रों की माने तो फाइजर और मॉडर्ना के लिए अन्य देशों में जो अनुमति दी गई है, उसकी तर्ज पर कानूनी कार्यवाही के खिलाफ मुआवजा दोनों को दिया जा सकती है, क्योंकि भारत वैक्सीन उत्पादन की मांग को दूर करने के लिए ऐसी संभावना तलाश रहा है.

गौरतलब है कि सरकार का लक्ष्य इस साल दिसंबर तक अपने सभी नागरिकों को टीका लगाने का भी है.

दिलचस्प बात यह है कि कोविड-19 पर राष्ट्रीय कार्य बल (National Task Force) के अध्यक्ष और नीति आयोग के एक सदस्य डॉ वीके पॉल (Dr VK Paul) ने हाल ही में कहा था कि सरकार फाइजर और मॉडर्न के साथ काम कर रही है और उन्होंने मूल देश सहित सभी देशों से मुआवजे का अनुरोध किया है.

डॉ पॉल ने कहा है कि हम इस अनुरोध की जांच कर रहे हैं और लोगों के व्यापक हित और गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेंगे. यह चर्चा में है.

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जैसे ही भारत के नीति निर्माता विदेशी वैक्सीन निर्माताओं को हर्जाना देने के मुद्दे पर चर्चा की, घरेलू फार्मा दिग्गज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) ने एक बार फिर केंद्र सरकार से उन्हें मुआवजा देने की अपील की है.

सीरम ने कहा कि नियम सभी के लिए समान होने चाहिए. पिछले साल सीरम के सीईओ अदार पूनावाला (Adar Poonawalla ) ने कहा था कि वैक्सीन निर्माताओं को सभी मुकदमों के खिलाफ सरकारी आश्वासन की आवश्यकता है.

वैक्सीन निर्माताओं को एक और महत्वपूर्ण छूट में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drug Controller General of India ) ने हाल ही में विदेशी कंपनियों के लिए पोस्ट-लॉन्च ब्रिजिंग ट्रायल (post-launch bridging trials) करने और भारत में अपने टीकों की गुणवत्ता और स्थिरता का परीक्षण करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है.

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