गुवाहाटी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs ) ने खरीफ सीजन से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य (minimum support price ) में वृद्धि की है, लेकिन इससे असम के किसानों को लाभ होने की संभावना नहीं है.
केंद्रीय कृषि मंत्री (Union Agriculture Minister) नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने यह भी कहा था कि MSP बढ़ाने का निर्णय कोविड-19 महामारी के प्रसार और विशेष रूप से पिछले वर्षों में कृषि क्षेत्र पर इसके प्रभाव को देखते हुए लिया गया था.
केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि सरकार ने 2021-22 के लिए धान (सामान्य) के MSP को मौजूदा 1,868 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो 72 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी है, जबकि MSP में वृद्धि के निर्णय को देश भर के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए एक स्वागत योग्य कदम माना गया था, लेकिन असम में किसानों को इससे लाभ होने की संभावना नहीं है.
सरकार का कहना है कि असम में किसानों को पहले कभी भी लाभ नहीं हुआ था क्योंकि केंद्र सरकार की एजेंसी द्वारा असम से धान की खरीद की राशि बहुत कम है.
आंकड़ों के मुताबिक, असम के किसानों ने वित्त वर्ष 2020-2021 में 52.55 लाख टन धान का उत्पादन किया था.
हालांकि, सरकारी एजेंसी ने उक्त वित्तीय वर्ष में असम से केवल 0.45 लाख टन धान की खरीद की, जिससे संकेत मिलता है कि असम के किसानों को 53.05 लाख टन धान निजी पार्टियों (private parties ) को बेचना पड़ा, जिसकी कीमत मात्र 800 से रु. 900 प्रति क्विंटल रुपये के बीच थी.