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डिजिटल खाई को पाटने के लिए इंटरनेट की पहुंच बढ़ाएं : वेंकैया - वेंकैया इंटरनेट की पहुंच बढ़ाएं

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice-President M Venkaiah Naidu) ने कहा कि डिजिटल खाई को पाटने और ई-शिक्षा में शिक्षकों के कौशल को उन्नत करने के लिए इंटरनेट तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत है. वह चेन्नई स्थित राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में बोल रहे थे.

Vice-President
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

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Published : Feb 14, 2022, 10:25 PM IST

चेन्नई : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice-President M Venkaiah Naidu) ने सोमवार को कहा कि महामारी ने शिक्षा परिदृश्य को बदल दिया है. डिजिटल खाई को पाटने और ई-शिक्षा में शिक्षकों के कौशल को उन्नत करने के लिए इंटरनेट तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत है, खासतौर पर गांवों और दूरदराज के इलाकों में.

चेन्नई स्थित राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (NITTTR) में खेल केंद्र और मुक्त शैक्षिक संसाधन (ओबीआर) का उद्घाटन करने के बाद वेंकैया ने कहा कि हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन डिजिटल खाई को पूरी तरह से पाटना जरूरी है.

उन्होंने कहा, 'इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें इंटरनेट तक पहुंच बढ़ानी होगी, खासतौर पर गांवों और दूरदराज के इलाकों में.' उपराष्ट्रपति के मुताबिक, भारत जैसे विविधता वाले देश में समावेशिता शैक्षिक अनुभव के केंद्र में है. उन्होंने कहा, 'गले लगाना, संलग्न करना, प्रबुद्ध करना और सशक्त बनाना हमारा मूलमंत्र होना चाहिए. सुविधाएं सृजित करने के साथ-साथ ई-शिक्षा में शिक्षकों के कौशल को उन्नत करना भी अहम है.'

वेंकैया ने कहा, 'यह वह पहलू है, जहां आपके जैसे संस्थान उन्हें स्थानीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए टेक-सेवी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.'

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'एनआईटीटीटीआर' शैक्षणिक परिदृश्य में एक अद्वितीय स्थान रखता है और इसे शिक्षकों, विशेष रूप से तकनीकी शिक्षकों को सशक्त बनाने के लिए स्थापित किया गया था. उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में 60,000 से अधिक अभ्यर्थियों ने आठ पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है.

शिक्षकों को बौद्धिक जीवनरेखा बताते हुए वेंकैया ने कहा कि एक अभ्यर्थी और ज्ञान के निर्माता के रूप में उनकी आवश्यकता है, शिक्षक जीवन को छूते हैं और उसका उत्थान करना चाहते हैं.

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उन्होंने कहा, 'हमें अपनी कक्षाओं में विशेष रूप से ग्रामीण भारत में प्रेरणादायक और परिवर्तनकारी शिक्षकों की जरूरत है. महान शिक्षक शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से परिभाषित करते हैं और प्रगति की नींव रखते हैं.'

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