चंडीगढ़:पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव 2022 शुरू हो गए हैं, जिनके परिणाम 10 मार्च को आएंगे. वहीं, इन चुनावों से पहले इन सभी प्रदेशों पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में कई नेताओं ने दल बदले. इसका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश और पंजाब में देखने को मिला. उत्तर प्रदेश में तो योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री से लेकर कई विधायक पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हुए हैं. वहीं पंजाब में सबसे अधिक आम आदमी पार्टी के विधायक पार्टी छोड़ गए, इसके साथ ही कुछ कांग्रेस के विधायक भी पार्टी का साथ छोड़ गए.
चुनाव आते ही विधायक क्यों बदलते हैं पार्टी ?
विधायकों का इस तरह पार्टी बदलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसमें तेजी देखने को मिल रही है. इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में ज्यादातर वे होते हैं जिन्हें लगता है कि उनकी या तो टिकट कटने वाला है या फिर कुछ ऐसे भी होते हैं कि जो हवाओं के रुख को बदलता देखते हैं. यानि जब उन्हें लगता है कि दूसरे दल की सरकार बन सकती है तो वे अपनी पार्टी को छोड़ देते हैं. वहीं राजनीतिक विश्लेषक सुखबीर बाजवा भी कुछ ऐसा ही कहते हैं, वे कहते हैं कि राजनीति में आजकल इस तरह का ट्रेड अधिक देखने को मिल रहा है. इसकी कई वजह रहती हैं. टिकट कटने का डर, जिस पार्टी में हैं उसकी सरकार वापस न आने का डर होने के साथ ही जिस तरह से पार्टियां टिकट बंटवारे में परिवारवाद को कम कर रही है उसकी वजह से भी कई नेता दल बदलकर चुनावी संग्राम में उतरते हैं.
इस बार पंजाब में भी कई विधायकों ने छोड़ा पार्टी का साथ
पंजाब की बात करें तो इस बार आम आदमी पार्टी के नौ विधायक चुनावों से पहले पार्टी छोड़ गए. जबकि आप के 2017 में 20 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में से कुछ राजनीति से दूर हो गए तो कुछ कांग्रेस के झंडे तले चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस के भी चार विधायक चुनावी मौसम में बीजेपी में शामिल हुए, लेकिन इनमें से एक फिर पार्टी में वापस लौट गए. राजनीतिक विश्लेषक गुरमीत सिंह कहते हैं कि आप के ज्यादातर विधायक पार्टी की अंदरूनी सियासत की वजह से साथ छोड़ गए. वहीं पार्टी के आला नेताओं से होने वाली नाराजगी भी उनके पार्टी को छोड़ने की वजह बनी, जबकि कांग्रेस में जिस तरह चुनावों से पहले खासतौर पर पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर हलचल हुई, इसके साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू के अध्यक्ष और चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनने के बाद जो सियासी माहौल बना उसको देखते हुए कुछ विधायक पार्टी छोड़ गए. राजनीतिक विश्लेषक सुखबीर बाजवा कहते हैं कि पंजाब में विधायकों के दल बदलने के पीछे मौजूदा दौर में प्रदेश में चुनाव से पहले की सियासी हलचलें सबसे बड़ी वजह रही. वह चाहे आप के अंदर की सियासत हो या फिर कांग्रेस के अंदर की उठापठक.
2016 से 2020 के बीच यह रहा हाल