गांधीनगर:गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Election 2022) की घोषणा कभी भी हो सकती है. हालांकि चुनाव आयोग की ओर से तारीखों की आधिकारिक घोषणा से काफी पहले पार्टियों ने गुजरात में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. एक साल पहले ही बीजेपी ने एक पाटीदार नेता को मुख्यमंत्री बना कर को चुनावी बुगुल फेंक दिया था. तो कांग्रेस ने भी जगदीश ठाकोर के आने के बाद बिना शोर मचाए जमीनी लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर कर रही है.
सूरत नगर निगम में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी ने गुजरात पर ध्यान देना शुरू किया था. ईटीवी भारत की चुनावी विशेष सीरीज इस रिपोर्ट में उत्तर गुजरात के राजनीतिक हालात पर नजर डालती है. उत्तर गुजरात में विधानसभा की 32 सीटें हैं. उत्तर गुजरात में बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, साबरकांठा, अरावली और गांधीनगर जिलों सहित छह जिले शामिल हैं. मोटे तौर पर पूरे क्षेत्र में पाटीदार, ओबीसी और दलित और आदिवासी बहुल जनसंख्या है.
उत्तर गुजरात विधान सभा की 32 सीटें हैं. इनमें बनासकांठा में 9, पाटन में 4, मेहसाणा में 7, साबरकांठा में 4, अरावली में 3 और गांधीनगर में 5 सीटें शामिल हैं. इन सभी सीटों पर बीजेपी के पास 14, कांग्रेस के पास 17 और एक निर्दलीय विधायक हैं. उत्तर गुजरात विधानसभा सीटों पर मतदाताओं की संख्या चुनाव आयोग द्वारा घोषित अंतिम सूची के अनुसार 86,53000 है। जिसमें 44,58000 पुरुष मतदाता और 41,93000 महिला मतदाता हैं. उत्तर गुजरात सीटों की गणना उत्तर गुजरात में दो समुदायों की बहुत बड़ी भूमिका है, एक पाटीदार और दूसरा ओबीसी समुदाय.
पाटीदार समाज में भी दो हिस्से हैं उजालियात पाटीदार और अंजना चौधरी. अंजना चौधरी समाज बख्शीपंच के अंतर्गत आती है. पाटीदार समुदाय का 80 प्रतिशत भाजपा के साथ और 20 प्रतिशत कांग्रेस के साथ रहा है. इसी तरह ठाकोर समुदाय ओबीसी के अंतर्गत आता है और उनका समुदाय कांग्रेस के साथ 80 प्रतिशत और भाजपा के साथ 20 प्रतिशत है. जहां तक दलित समुदाय की बात है तो यह सीट बीजेपी के पास है और रोहित समाज कांग्रेस के पास है. उत्तर गुजरात में इस तरह का राजनीतिक जाति समीकरण है और इतिहास बताता है कि पार्टी इसी को देखकर टिकट देते हैं।
उत्तर गुजरात में कांग्रेस का जातिगत समीकरण भाजपा से बेहतर होता जा रहा है. कांग्रेस का पारंपरिक मतदाता तो उसके साथ है ही मेहसाणा और अन्य जिलों में भी कांग्रेस के साथ कुछ अन्य समुदाय भी जुड़ सकते हैं. मेहसाणा में कुल मतदाताओं में से 42 प्रतिशत सामान्य वर्ग से, 38 प्रतिशत ओबीसी वर्ग से और 20 प्रतिशत अन्य जाति वर्ग से हैं. गांधीनगर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कांग्रेस को पारंपरिक ओबीसी और दलित समुदाय के मतदाताओं का समर्थन मिलता है.
पाटन में, पाटीदारों के बीच आरक्षण आंदोलन के प्रभाव के कारण 2017 के चुनाव में कांग्रेस को समर्थन मिला. साबरकांठा में सबसे प्रमुख क्षत्रिय पाटीदार और क्षत्रिय समुदाय हैं. तो एक निश्चित सीट पर सबसे ज्यादा मतदाता आदिवासी हैं. जाति समीकरण की दृष्टि से अरावली में ठाकोर समुदाय की भी बड़ी आबादी है. साथ ही लिउआ, कड़वा और कच्छी पटेलों की आबादी भी महत्वपूर्ण है. तो मोडासा में कुल मतों का 10 से 11 प्रतिशत और मेघराज में अल्पसंख्यक मत कुल मतों का 7 से 8 प्रतिशत होने का अनुमान है. मेघराज में ईसाई समुदाय के लोग भी शामिल हैं. पाटीदार और ओबीसी समुदाय और अन्य समुदाय मिलकर ऐसे जाति गणित में बैठते हैं.
उत्तर गुजरात में सीटवार जाति समीकरण बनासकांठा में उत्तर गुजरात के छह जिलों बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, साबरकांठा, अरावली और गांधीनगर में कुल 32 सीटों में से 9 सीटें हैं. इनमें वाव, थरद, धनेरा, दंता, वडगाम, पालनपुर, दिसा, देवदार और कांकरेज शामिल हैं. 2017 में, भाजपा ने 3 सीटों पर, कांग्रेस ने 5 सीटों पर और निर्दलीय ने 1 सीट पर जीत हासिल की, जिसका अर्थ है कि पाटीदारों का झुकाव कांग्रेस की ओर तो था ही अन्य ओबीसी और दलित और अल्पसंख्यक वोट भी कांग्रेस को मिला.
मेहसाणा के 7 निर्वाचन क्षेत्र खेरालू, उंझा, विसनगर, बेचाराजी, काडी, मेहसाणा और बीजापुर हैं. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 7 में से 5 सीटें जीती थीं और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थीं. जिले में यहां के चुनाव में पाटीदार मतदाताओं और ओबीसी वर्ग के मतदाताओं के मतदान का इतिहास रहा है. इसी जिले में वडनगर है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मस्थान है. मेहसाणा जिला कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन 20 साल से भाजपा ने मतदाताओं का विश्वास और वादे जीतकर मेहसाणा में मजबूत पकड़ बनाई है.
पढ़ें: गुजरात एटीएस ने कनाडा के उम्मीदवारों को फर्जी पासपोर्ट और वीजा जारी करने के आरोप में चार को पकड़ा
वर्तमान में ऋषिकेश पटेल विसनगर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं. इस कड़ी में करशन सोलंकी भाजपा से विधायक हैं. प्रदेश की प्रयोगशाला माने जाने वाले मेहसाणा में इस समय सभी राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपने-अपने चुनावी कार्यक्रमों का संचालन कर रहे हैं. गांधीनगर के कुल 5 निर्वाचन क्षेत्रों में देहगाम, गांधीनगर दक्षिण, गांधीनगर उत्तर, मनसा और कलोल शामिल हैं. 2017 में बीजेपी ने 2 सीटें और कांग्रेस ने 3 सीटें जीती थीं. इस जिले में ठाकोर समुदाय समेत ओबीसी और दलित वोट महत्वपूर्ण हैं.
पाटन जिले में, राधनपुर, चांसमा, पाटन और सिद्धपुर में 4 निर्वाचन क्षेत्र हैं. 2017 में पाटीदार वर्ग की नाराजगी का सबसे ज्यादा खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा. यहां के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 1 सीट और कांग्रेस ने 3 सीटें जीती थीं. पाटन में कांग्रेस ने एक पाटीदार उम्मीदवार को टिकट दिया था और यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी.
साबरकांठा जिले में हिम्मतनगर, ईडर, खेड़ब्रह्मा और प्रांतिज सहित कुल 4 निर्वाचन क्षेत्र हैं। हिम्मतनगर सीट पर क्षत्रिय पाटीदार और क्षत्रिय समाज का दबदबा है. क्षत्रिय 63,000 मतदाता, राजपूत 4500 मतदाता, मुस्लिम 36,000 मतदाता, दलित 30,000 मतदाता, ब्राह्मण 9000 मतदाता, वानिया 8000 मतदाता, सोनी 4000 मतदाता, रावल 5000 मतदाता, रबारी 5,000 मतदाता प्रजापति 6000 मतदाता, वन ओजारा-ओड, 30000 मतदाता, सामान्य बीसी 3000 मतदाता. ऊपरी 4000 मतदाता, अन्य ओबीसी और पिछड़ा वर्ग 20,000 मतदाता. प्रांतिज-तालोद विधानसभा सीट के मतदाताओं की बात करें तो, ठाकोर समुदाय में सबसे अधिक मतदाता हैं.
खेड़ब्रह्मा विधानसभा में पोशी के खेड़ब्रह्मा और विजयनगर तालुका हैं और अधिकांश मतदाता आदिवासी हैं. अरावली की बैद विधानसभा सीट में ठाकोर समुदाय की अच्छी खासी आबादी है जिसके बाद पटेल समुदाय का नंबर आता है. उत्तरी गुजरात के मुद्दे उत्तरी गुजरात (उत्तर गुजरात विधानसभा सीटों) में मुख्य रूप से पानी की समस्या बहुत व्यापक है. बनासकांठा, साबरकांठा, अरावली जिलों में, इस मुद्दे पर व्यापक समस्याएं सर्दी खत्म होने से पहले ही शुरू हो जाती हैं. नर्मदा नहर आधारित कृषि के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं होने की किसानों की शिकायतें सामने आ रही हैं.
पढ़ें: नेहरू की वजह से कश्मीर में ‘समस्या’ खड़ी हुई, मोदी ने इसे खत्म किया : शाह
साथ ही खेती वाले क्षेत्रों में नकली बीजों की समस्या से निजात पाना भी एक मुद्दा है. मेहसाणा के बेचाराजी में औद्योगिक इकाइयों के आने के बाद रोजगार तो है, लेकिन स्थानीय रोजगार के अभाव का मामला है. शहरी क्षेत्रों के अलावा, उत्तरी गुजरात के ग्रामीण इलाकों में अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की अभी भी कमी है. जिला स्तरीय अस्पतालों में भी मेडिकल स्टाफ की कमी लोगों को परेशान कर रही है. इसी तरह यहां के लोगों को एसटी को सार्वजनिक परिवहन की सुविधा दिलाने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है. उत्तरी गुजरात का गांधीनगर जिला इस संबंध में कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अभी भी काम किया जाना बाकी है.
भाजपा कांग्रेस और उत्तर गुजरात में आपकी रणनीति आनंदीबेन पटेल, नितिन पटेल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह जैसे भाजपा के दिग्गज उत्तर गुजरात से आते हैं. पूरे क्षेत्र में पाटीदार कृषि और भूमि, शिक्षित वर्ग के कारण पैसासेटका संपन्न वर्ग हैं. ऐसे में उनके लिए राजनीतिक प्रभुत्व का सवाल अहम है. इसलिए 2027 में पाटीदार आंदोलन के प्रभाव से हारने की बारी भाजपा की थी. अब हार्दिक पटेल बीजेपी में हैं, अल्पेश पटेल बीजेपी में हैं और जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के साथ हैं.
तब बीजेपी और कांग्रेस ने वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति बनाई. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में नई आम आदमी पार्टी की शुरुआत यह भी दर्शाती है कि लोग वोटबैंक की राजनीति को समझते हैं और उसी के अनुसार उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं, जैसा कि अब तक घोषित नामों में देखा गया है. आदिवासी मतदाताओं से कांग्रेस का दबदबा कम करने के लिए वरिष्ठ आदिवासी नेता अश्विन कोतवाल व डॉ. अनिल जोशियारा के बेटे बीजेपी में शामिल हो गए हैं, जिसका असर पड़ सकता है.
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में राजनीतिक विशेषज्ञों की राय उत्तर गुजरात में चुनावी समीकरण को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजनीतिक विशेषज्ञ हरेश झाला (उत्तर गुजरात विधानसभा सीटों पर राजनीतिक विशेषज्ञ) ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में विपुल चौधरी केस के बाद, अंजना चौधरी समाज परेशान है कि यह उत्तर गुजरात में कुछ सीटों को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, भाजपा और कांग्रेस किसे टिकट देती हैं, इस पर कड़ा मुकाबला होगा. 1985 से ठाकोर और पाटीदार के बीच झगड़ा चल रहा है.
ठाकोर समाज कांग्रेस के साथ है, भाजपा घुसपैठ की कोशिश करती है, और ठाकोर समाज को अपने पक्ष में करने के लिए कई प्रयास करती है. अल्पेश ठाकोर बीजेपी में शामिल हो गये हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. बीजू पाटीदार समाज भाजपा का प्रतिबद्ध मतदाता है, कांग्रेस वहां पैर नहीं जमा पाई है. वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ दिलीपभाई गोहिल ने ईटीवी भारत को बताया कि उत्तरी गुजरात में पिछले तीन चुनावों के बाद से परिणामों में कोई भारी बदलाव नहीं हुआ है. भाजपा कांग्रेस का एक प्रतिबद्ध मतदाता उसे ही वोट देता है.
कांग्रेस पिछले तीन चुनावों से अपनी सीटों को बरकरार रखने में सफल रही है. कांग्रेस उत्तरी गुजरात में नहीं बिखरी है जैसी अन्य क्षेत्रों में बिखर गई गई है. लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो सका. 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर गुजरात महत्वपूर्ण और ध्यान खींचने वाला होगा. क्योंकि विपुल चौधरी के मामले में चौधरी समाज ने आंदोलन किया है, जिसका सीधा असर बीजेपी पर पड़ सकता है. कांग्रेस ने जगदीश ठाकोर को पार्टी अध्यक्ष बनाया है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस को ठाकोर समुदाय के वोट मिलेंगे. तीसरी पार्टी आम आदमी पार्टी आई है, जो वोट काटेगी. किसे नुकसान होगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन उत्तर गुजरात में मुकाबला कड़ा होगा.