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जम्मू कश्मीर में घरेलू प्रदूषण से हर साल 3000 से ज्यादा लोगों की मौत

जम्मू कश्मीर में घरेलू प्रदूषण और फेफड़ों की बीमारी के कारण काफी संख्या लोगों की मौत हो रही है. इसका खुलासा एक अध्ययन से हुआ है. जानकारों के अनुसार लकड़ी, पत्ते, गोबर के उपले और अन्य चीजों को जलाने से घरों में प्रदूषण उत्पन्न होता है.

In Jammu and Kashmir  more than 3000 people die every year due to household pollution
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Published : Dec 13, 2022, 7:27 AM IST

श्रीनगर:जम्मू कश्मीर में घरेलू प्रदूषण के कारण हर साल 3,000 से अधिक लोगों की मौत होती है. फेफड़ों की बीमारी पर 2017 के एक अध्ययन में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में प्रदूषण के कारण हर साल 10,497 लोगों की मौत होती है. इनमें से 5,822 वायु प्रदूषण के कारण और 3,457 घरेलू प्रदूषण के कारण मौत होती हैं. जानकारों के अनुसार लकड़ी, पत्ते, गोबर के उपले और अन्य चीजों को जलाने से घरों में प्रदूषण उत्पन्न होता है. इसके अलावा इसमें मिट्टी के तेल का चूल्हा व अन्य उपकरण शामिल हैं.

दूसरी ओर, कश्मीर घाटी में सर्दियों में उपयोग किए जाने वाले स्नान भी प्रदूषण पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. परिणामस्वरूप कई लोगों की विभिन्न बीमारियों से मृत्यु हो जाती है. कोयला, मिट्टी के तेल और लकड़ी के द्वारा उत्पन्न प्रदूषण भी इसमें शामिल होता है. फेफड़ों के रोग ज्यादातर प्रदूषण के कारण होते हैं. ऐसे में वे घरेलू प्रदूषण के कारण दमा, फेफड़े के कैंसर और अन्य स्तन रोगों से पीड़ित हो जाते हैं.

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गौरतलब है कि हाल ही में यह बात भी सामने आई है कि जम्मू-कश्मीर में वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से हर साल 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. सर्वेक्षण के अनुसार, श्रीनगर दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल था और इस पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण ईंट भट्टे, सीमेंट कारखाने, वाहनों का अत्यधिक उपयोग, सड़कों की जर्जर स्थिति, अनुचित जल निकासी व्यवस्था और घरेलू कचरा, धुआँ आदि है.

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