तिरुनेलवेली: अनाज के लिए खतरों से खेलने की यह कहानी तमिलनाडु के शहर तिरुनेलवेली के करीब इंजिक्कुझी की है. यहां एक काणि ट्राइबल समूह करैयार डैम से 10 किलोमीटर दूर जंगली इलाके में रहता है. ये सभी राशन लेने के लिए तिरुनेलवेली ही आते हैं, मगर दस किलोमीटर की दूरी तय करने में उनके कई दिन खर्च हो जाते हैं. इन लोगों का कहना है कि उनकी सहायता के लिए सरकार ने वन विभाग को नाव दे रखी है, मगर अफसर डैम को पार कराने के लिए उनसे डीजल का खर्च मांगते हैं. ऐसे हालात में वह लड़की के खंभों से टेंपररी नाव बनाकर डैम को पार करते हैं. इन लोगों के पास एक भी ऐसा गैजेट नहीं है, जो डिजिटल इंडिया में पॉपुलर है.
काणि जनजाति के लोग इंजिक्कुझी में पिछले 100 साल से भी अधिक समय से रह रही है. इस ट्राइब के लोग मूल रूप से केले, मिर्च और अन्य कंदों खेती करते हैं. पिछली जनगणना के मुताबिक, इंजिक्कुझी में काणि जनजाति की आबादी 24 है और यहां इनके कुल 7 परिवार बसे हैं. जब आप इनकी मुश्किल जिंदगी के बारे में जानेंगे तो वह हैरान रह जाएंगे. इनका इलाका करैयार डैम से 10 किलोमीटर दूर जंगल में है, इसलिए जब वह नमक-तेल और राशन के लिए तिरूनेलवेली का जाते है तो सबसे पहले जंगली जानवरों से बचकर घने जंगल में 10 किलोमीटर पैदल चलते हैं. फिर उन्हें करैयार डैम में चार किलोमीटर का सफर करना होता है. इसे पार करने के लिए वह टेंपररी नाव बनाते हैं. नाव ऐसी कि कभी भी पलट जाए. खतरनाक यह है कि करैयार डैम में खतरनाक मगरमच्छ भी हैं, जो डूबने वाले को चट करने में टाइम नहीं लगाते. काणि आदिवासी समुदाय में भी राशन-पानी लाने की जिम्मेदारी पुरुषों की है इसलिए समुदाय के लोग सप्ताह में दो बार राशन लेने जाते हैं. यदि सभी मौसम साथ देता है तो वे दो या तीन दिनों में घर लौट जाते हैं. अगर रात में बारिश हो जाती है तो वह कई-कई दिनों तक करैयार डैम के पास मौसम साफ होने का इंतजार करते हैं.