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जनरल रावत सेना के आधुनिकीकरण के लिए 43 साल से कर रहे थे काम

तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की असामयिक मृत्यु (Untimely death of Chief of Defense Staff General Bipin Rawat) हो गई. इस हादसे में उनकी पत्नी सहित कुल 13 लोगों की मृत्यु हो गई. इसी के साथ भारत के आधुनिक सैन्य इतिहास में एक युग का भी (India Modern Military Draws Close) अंत हो गया. रावत को 43 साल की सेवा के बाद भारतीय सेना को आधुनिक बनाने और उत्तरी या पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने का काम सौंपा गया था.

General Rawat file photo
जनरल रावत (फाइल फोटो)

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Published : Dec 8, 2021, 10:20 PM IST

नई दिल्ली : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Chief of Defence Staff General Bipin Rawat) को 43 साल की सेवा के बाद भारतीय सेना को आधुनिक बनाने और उत्तरी या पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने का काम सौंपा गया था. दुर्भाग्य से, तमिलनाडु के नीलगिरि पहाड़ियों में बुधवार को एक दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद उनके जीवन का अंत हो गया. इस हेलीकॉप्टर में रावत के साथ उनकी पत्नी और अन्य 11 लोग सवार थे, जिनकी मौत हो गई.

जनरल रावत ने 1 जनवरी, 2020 को भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में कार्यभार संभाला था. यह पद तीन सेवाओं - थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एकीकृत करने के लिए बनाया गया था. सीडीएस को एकीकरण की सुविधा, सशस्त्र बलों को आवंटित संसाधनों का सर्वोत्तम किफायती उपयोग सुनिश्चित करने और खरीद प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए अनिवार्य माना गया है.

जनरल रावत सीडीएस के रूप में सभी त्रि-सेवा मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार भी थे. बाद में उन्हें सैन्य मामलों के नवनिर्मित विभाग के प्रमुख के रूप में भी नियुक्त किया गया. 17 दिसंबर 2016 को सरकार ने उन्हें 27वें सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था. उन्होंने जनरल दलबीर सिंह सुहाग के सेवानिवृत्त होने के बाद 31 दिसंबर 2016 को कार्यभार संभाला था.

उन्होंने सरकार को आश्वासन दिया था कि सेना, नौसेना और वायुसेना एक टीम के रूप में काम करेगी और सीडीएस तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने संयुक्त योजना और एकीकरण के माध्यम से सेवाओं की खरीद, प्रशिक्षण और संचालन में अधिक तालमेल लाने, आवंटित बजट का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उन्होंने तीनों सेवाओं के लिए समग्र रक्षा अधिग्रहण योजना तैयार करते हुए अधिकतम संभव सीमा तक हथियारों और उपकरणों के स्वदेशीकरण की सुविधा प्रदान की थी. जनरल रावत ने जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में पदभार संभाला था, तो उन्होंने तीनों सेवाओं के बीच अधिक तालमेल बनाने के लिए काम करने की कसम खाई थी.

उन्होंने कहा था कि सीडीएस को एकीकरण की सुविधा, सशस्त्र बलों को आवंटित संसाधनों का सर्वोत्तम किफायती उपयोग सुनिश्चित करने और खरीद प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए अनिवार्य है. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि सेना, नौसेना और वायुसेना एक टीम के रूप में काम करेगी और सीडीएस इनका एकीकरण सुनिश्चित करेंगे. सीडीएस के रूप में नियुक्त होने से पहले, उन्होंने तीन साल तक भारतीय सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया था.

वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र थे. उन्होंने यूएस में फोर्ट लीवेनवर्थ में कमांड और जनरल स्टाफ कोर्स में भी भाग लिया था.

सेना में अपने विशिष्ट करियर के दौरान जनरल रावत ने पूर्वी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास एक पैदल सेना बटालियन, एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर, कश्मीर घाटी में एक पैदल सेना डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली थी.

जनरल रावत ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की भी कमान संभाली थी. एक सेना कमांडर के रूप में उन्होंने पश्चिमी मोर्चे के साथ एक ऑपरेशनों के थिएटर के संचालन की कमान संभाली थी और थल सेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले उन्हें थल सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. सेना में 43 वर्षो की अवधि के दौरान जनरल रावत को कई वीरता और विशिष्ट सेवा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.

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