इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और 'अंतिम गेंद तक खेलेंगे.' साथ ही, उन्होंने कहा कि वह रविवार को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का सामना करेंगे, जिसमें फैसला होगा कि देश किस दिशा में जाएगा. राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले एक संबोधन में खान (69) ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो भी नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे. खान ने ‘धमकी वाले एक पत्र’ पर भी चर्चा की, जिसे उन्होंने कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश का ‘‘सबूत’’ बताया है. उन्होंने इस धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो शायद जुबान फिसलने के कारण हुआ.
खान ने ऐसे वक्त राष्ट्र को संबोधित किया है, जब उन्होंने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में फूट के बाद संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में बहुमत खो दिया है. उनके दो सहयोगी दलों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया और विपक्षी खेमे के साथ जा मिले. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देश को तय करना चाहिए कि देश को कहां जाना चाहिए...मैं हमेशा आखिरी गेंद तक खेला हूं. मैं कभी इस्तीफा नहीं दूंगा. खान ने कहा, मेरे खिलाफ जाने वालों को इस्तीफा दे देना चाहिए था...उन्हें पैसे के लिए खुद को नहीं बेचना चाहिए था.
खान ने कहा, हमारी नीति अमेरिका विरोधी, यूरोप, या यहां तक कि भारत विरोधी नहीं थी...नयी दिल्ली द्वारा अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ने और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद यह भारत विरोधी बन गई. बगावत करने वाले सांसदों को गद्दार बताते हुए खान ने कहा कि उन्होंने उनसे (सांसदों को) वापस आने और सरकार गिराने के प्रयास को विफल करने का अनुरोध किया था, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया. रविवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का संकल्प लेते हुए खान ने कहा, ‘‘मैं साजिश के खिलाफ लड़ूंगा और इसे कभी सफल नहीं होने दूंगा.
खान के संबोधन के कुछ घंटे पहले विपक्षी सांसदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पर तत्काल मतदान की मांग के बाद डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने रविवार तक नेशनल असेंबली का सत्र स्थगित कर दिया.नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने 28 मार्च को प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. खान को, उन्हें प्रधानमंत्री पद से बेदखल करने की विपक्ष की कोशिश को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोट की जरूरत है. हालांकि, विपक्ष ने अपने पक्ष में 175 सांसदों का समर्थन हासिल होने का दावा किया और प्रधानमंत्री से फौरन इस्तीफा देने की मांग की है.